चेन्नई, (वेब वार्ता)। तमिलनाडु के चेन्नई में गैर- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों के प्रतिनिधियों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को शुरू हुई। इन राज्यों में केंद्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या के आधार पर परिसीमन की वजह से लोकसभा सीटों की संख्या में कमी आने का अनुमान है।
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मनेत्र कषगम (द्रमुक) की ओर से पांच मार्च को यहां बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पारित प्रस्तावों के अनुरूप बुलाई गई बैठक में तीन मुख्यमंत्री, एक उपमुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और गैर-भाजपा शासित सात राज्यों के 20 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
शहर के स्टार होटल आईटीसी ग्रैंड चोला में आयोजित बैठक के लिए नेता कल रात से ही पहुंचने लगे थे और कुछ अन्य आज सुबह यहां पहुंचे।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री एवं जन सेना पार्टी के पवन कल्याण के नेतृत्व वाली तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रतिनिधियों को भी बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन की ओर से आहूत बैठक में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार समेत कई राज्यों के शीर्ष नेता शामिल हुए, जो परिसीमन से प्रभावित हो सकते हैं।
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा वर्तमान जनसंख्या के आधार पर प्रस्तावित कवायद के परिणामस्वरूप दक्षिणी राज्यों सहित कई राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या में कमी आने की संभावना के चलते यह बैठक बुलाई जा रही है। पांच मार्च को यहां द्रमुक द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में पारित प्रस्तावों के अनुरूप तीन मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्री के अलावा सात गैर-भाजपा शासित राज्यों, जिनमें सभी दक्षिणी राज्य शामिल हैं, के पूर्व मुख्यमंत्रियों और 20 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन के निर्देश पर मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के नेताओं को वरिष्ठ द्रमुक नेताओं द्वारा व्यक्तिगत रूप से दिए गए निमंत्रण के आधार पर बैठक में शामिल हुए। श्री स्टालिन ने इस मामले में शुरूआती पहल की है, क्योंकि तमिलनाडु को कुल 39 सीटों में से आठ सीटों का नुकसान होगा, जिससे उसका संसदीय प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
इस परिसीमन के मद्देनजर दक्षिणी राज्यों को भी अपना संसदीय प्रतिनिधित्व खोना पड़ सकता है।
बैठक के बाद दोपहर के आसपास सभी नेताओं के साथ एक मीडिया मीटिंग आयोजित की जाएगी, जिसमें नेताओं द्वारा लिए गए निर्णयों और प्रस्तावित कसरत के खिलाफ आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की घोषणा की जाएगी।
श्री स्टालिन ने कहा कि जनसंख्या आधारित कसरत का उद्देश्य उन राज्यों को दंडित करना है, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है और राष्ट्र की प्रगति, विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
श्री स्टालिन ने उनसे अपने उम्मीदवारों को नामित करने और जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए द्रमुक द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने का भी आग्रह किया, जिससे संसदीय संरचना अत्यधिक आबादी वाले उत्तरी राज्यों (हिंदी बेल्ट क्षेत्र) के पक्ष में झुक जाएगी, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू नहीं किया है और प्रस्तावित अभ्यास से उन्हें अधिक संख्या में सीटें मिलेंगी।
उन्होंने बताया कि बैठक में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता जगन मोहन रेड्डी, सत्तारूढ़ तेदेपा के वल्ला श्रीनिवास राव, बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक भी शामिल हुए।
द्रमुक ने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री ने परिसीमन के खतरों को महसूस किया और सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक में भाग लेने और एजेंडा को आगे बढ़ाने और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए गठित जेएसी में अपने प्रतिनिधियों को नामित करने के लिए आमंत्रित किया।”
द्रमुक सांसदों ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया, वॉकआउट किया और केंद्र की निंदा करने के लिए संसद के एनेक्सी में विरोध प्रदर्शन भी किया।
इस बीच बैठक से पहले एक वीडियो संदेश में श्री स्टालिन ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन अभ्यास कुछ राज्यों को कमजोर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
इस मुद्दे पर केंद्र से 2026 से आगे 30 वर्षों तक यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह करते हुए श्री स्टालिन ने कहा कि प्रस्तावित परिसीमन भारत में संघवाद की नींव पर प्रहार करेगा।
उन्होंने कहा, “इससे लोकतंत्र का सार ही खत्म हो जाएगा। संसद में हमारी आवाज दबा दी जाएगी। हमारे अधिकारों से समझौता किया जाएगा।” मुख्यमंत्री ने कहा, “यह उन कुछ राज्यों को कमजोर करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है, जिन्होंने अपनी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया है, कुशलतापूर्वक शासन किया है और राष्ट्रीय प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा दंडित नहीं किया जाना चाहिए।”