नई दिल्ली, 24 जुलाई (वेब वार्ता)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते मंगलवार को बजट भाषण 2024 में स्टार्टअप के लिए एंजल टैक्स को खत्म करने का ऐलान किया। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक बड़े अधिकारी ने इस फैसले को सही ठहराते हुए बुधवार को कहा कि एंजल टैक्स को हटाना एक लंबित मुद्दा था, क्योंकि यह टैक्स देश में आने वाले निवेश पर लगाया जाता था और इस तरह के विदेशी निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। भाषा की खबर के मुताबिक, डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इस फैसले से विदेशी निवेश आकर्षित करने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और देश के स्टार्टअप परिवेश को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
एंजल टैक्स आय पर नहीं बल्कि निवेश पर था
खबर के मुताबिक, सिंह ने कहा कि यह कारोबार सुगमता का मुद्दा होने के साथ-साथ टैक्स का मुद्दा भी था। आखिरकार यह आय पर नहीं बल्कि निवेश पर कर था और निवेश पर कर नहीं लगना चाहिए, यही मूल विचार है। एंजल कर (30 प्रतिशत से अधिक की दर से आयकर) का मतलब वह आयकर है जो सरकार गैर-सूचीबद्ध कंपनियों या स्टार्टअप द्वारा जुटाई गई धनराशि पर लगाती है, अगर उनका मूल्यांकन कंपनी के उचित बाजार मूल्य से अधिक है। इस फैसले से विवाद तथा मुकदमेबाजी में भी कमी आएगी। टैक्स निश्चितता और नीतिगत स्थिरता आएगी। इसके अलावा, टैक्स निर्धारण और मुकदमेबाजी में उलझी मांग में भी कमी आएगी।
भारतीय स्टार्टअप में निवेश आकर्षित होगा
सचिव ने कहा कि निवेशक संभावित नए इनोवेशन पर निवेश करता है और यह कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। टैक्स के चलते भारत में एक वास्तविक रूप से अच्छे विचार को समर्थन नहीं मिल रहा था और यह लोगों को विदेश से पैसा लाने के लिए मजबूर कर रहा था। उन्होंने कहा कि वास्तव में इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कम हो जाता है और इससे एक ऐसी व्यवस्था बनती है, जहां लोग देश के बाहर रहते हैं और फिर लंबे समय के बाद वापस आ जाते हैं, क्योंकि आखिरकार बाजार यहीं है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि इस निर्णय से भारतीय स्टार्टअप में निवेश आकर्षित करने तथा उभरते उद्यमियों की वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
डीपीआईआईटी में संयुक्त सचिव संजीव ने कहा कि विभाग को संबंधित हितधारकों से कई ज्ञापन प्राप्त हुए जिनमें एंजल कर के संभावित प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। आज की तारीख तक करीब 1.44 लाख स्टार्टअप को डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता दी गई है।