-बजट सत्र में नहीं देखे गए ऐसे हालात
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली नगर निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में निगम की विशेष बजट सत्र की बैठक में सोमवार को संशोधित बजट अनुमान 2024-25 और बजट अनुमान 2025-26 पर निगम में नेता विपक्ष सरदार राजा इकबाल सिंह ने बजट भाषण पढ़ना शुरू किया तो सत्ता पक्ष में बैठे आम आदमी पार्टी के पार्षदों को यह भाषण रास नहीं आया और बिना किसी जायज वजह के हंगामा शुरू कर दिया।
बता दें कि नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह के भाषण शुरू होते ही आप पार्षदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान आम आदमी पार्टी के पार्षद धीरे धीरे नेता विपक्ष राजा इकबाल के आसन की तरफ बढ़ने लगे और नारेबाजी तेज कर दी। महापौर ने भी नारेबाजी कर रहे पार्षदों से कई बार आग्रह किया लेकिन वह माने नहीं। थक हार कर महापौर महेश कुमार खींची ने बजट बैठक को अगली बैठक तक के लिए स्थगित कर दिया। इस दौरान महापौर और हंगामा कर रहे पार्षद भी सदन से बाहर चले गए और इसके साथ ही निगम सचिव भी सदन से बाहर आ गए लेकिन निगम आयुक्त अश्विनी कुमार अपनी सीट पर ही बैठे रहे और नेता विपक्ष राजा इकबाल अपना बजट भाषण पढ़ते रहें। बता दें कि इससे पहले महापौर महेश कुमार खींची ने बजट पर चर्चा करने के लिए नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह से निवेदन करते हुए कहा कि वह जनता के हित में अपनी बात रखे। वहीं, इस संबंध में निगम सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि निगम के बजट सत्र में ऐसे हालात,पहले कभी नहीं देखे गए हैं।
बजट जैसे गंभीर विषय़ पर महापौर का सदन स्थगित करना निंदनीय : सरदार राजा इकबाल सिंह
वहीं, बजट भाषण के बाद नेता विपक्ष व पूर्व महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि संशोधित बजट अनुमान 2024-25 और बजट अनुमान 2025-26 पर निगम सदन में अपने सुझाव पेश किए लेकिन महापौर ने बजट भाषण पूरा होने पहले ही सदन की बैठक को स्थगित कर दिया। राजा इकबाल सिंह ने इसे निंदनीय बताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सही नहीं है। क्योंकि हमारे पास बहुमत का संख्याबल था बावजूद इसके हमने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर बजट पढ़ा।
नकारात्मक राजनीति के कारण जनता ने आप को विधानसभा से किया बाहर
राजा इकबाल सिंह ने कहा कि आप की इसी नकारात्मक राजनीति की वजह विधानसभा से दिल्ली की जनता ने विधानसभा से आप को बाहर किया और अब निगम में आप का महापौर होने के बाद भी आम आदमी पार्टी सदन को अवरोध कर रही है। साथ ही बजट पर सकारात्मक सुझावों को नहीं सुन रही है। इससे पता चलता है कि आप सरकार न तो निगम के कर्मियों का हित चाहती है और न ही दिल्ली नगर निगम का हित चाहती है। क्योंकि बजट किसी भी संस्थान के लिए अहम होता है। ऐसे में बजट भाषण पर सदन को स्थगित करना आप का लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास न होने का प्रमाण है। साथ ही यह भी दर्शाता है कि आप अपनी नाकामी छिपाना चाहती थी। क्योंकि पिछले तीन साल में आप सरकार ने निगम को ठप कर दिया है। राजा इकबाल सिंह ने कहा कि अप्रैल में निगम ने भाजपा का महापौर बनेगा क्योंकि आप को जनता ने नकार दिया है।