इस्लामाबाद, (वेब वार्ता)। पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंकी की फैक्ट्री चलाता है। इसके एक नहीं हजारों प्रमाण भी हैं। अब हालात ये है कि खुद पाकिस्तान इस आतंक के दंश का शिकार हो रहा है। मार्च 11 को, जब जाफर एक्सप्रेस बलूचिस्तान की पहाड़ियों से गुजर रही थी, तो यह एक आम सफर होना चाहिए था। लेकिन तभी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के आतंकियों ने ट्रेन पर धावा बोल दिया। आतंकियों ने ट्रेन रोककर यात्रियों को बंधक बना लिया। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों से निपटने में 24 घंटे से ज्यादा लग गए। सेना के मुताबिक, सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया और 33 आतंकी मारे गए। लेकिन इस दौरान 21 यात्रियों की जान जा चुकी थी और चार सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
यह कोई अकेली घटना नहीं थी। बीते कुछ हफ्तों में पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं की बाढ़ आ गई है। आत्मघाती हमले, टारगेट किलिंग और सेना के ठिकानों पर बड़े हमले आम हो गए हैं। खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (जीटीआई) 2025 में पाकिस्तान को दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आतंक-प्रभावित देश बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में पाकिस्तान में आतंक से मरने वालों की संख्या 45 प्रतिशत बढ़कर 1,081 हो गई। वहीं, हमलों की संख्या 517 से बढ़कर 1,099 हो गई।
देश के अंदर, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बीएलए जैसे संगठन पाकिस्तान की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा रहे हैं। 2022 में इमरान खान की सत्ता से बेदखली के बाद स्थिति और बिगड़ गई। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से टीटीपी को नया हौसला मिला। वहीं, इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) ने भी पाकिस्तान में हमले तेज कर दिए। चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों ने अमेरिका को भी दूर कर दिया, जिससे आतंक-रोधी सहयोग कमजोर हुआ।
दो महीने में 3 बड़ी घटनाएं
पाकिस्तान में फरवरी और मार्च में तीन बड़ी आतंकी घटनाओं का शिकार हुआ है। मार्च 4 को, खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू में एक सैन्य अड्डे पर दो आत्मघाती हमलावरों ने हमला किया। इसमें 18 लोगों की मौत हुई, जिनमें पांच सैनिक शामिल थे। इससे पहले मार्च 3 को, बीएलए की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने बलूचिस्तान के कलात में सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाया। इस हमले में एक सैनिक मारा गया और चार घायल हो गए। पिछले महीने फरवरी 19 को, बलूच आतंकियों ने सात मजदूरों को पंजाब के एक बस में मार डाला। इससे दो दिन पहले, कराची के मंगोपीर इलाके में टीटीपी से जुड़े गुट ने एक पुलिस अफसर की हत्या कर दी। इन घटनाओं से साफ है कि आतंकियों की रणनीति और क्षमताएं लगातार बढ़ रही हैं।