-उसी थाने के टीआई, एएसआई समेत हेड कांस्टेबल के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज
-स्टॉक मार्केट के फर्जी कॉल सेंटर के आरोपी को बचाने के लिए की थी 25 लाख की डील
भोपाल, (वेब वार्ता)। भोपाल के ऐशबाग थाने में पदस्थ एएसआई पवन रघुवंशी ने फर्जी कॉल सेंटर मामले में एक आरोपी मोइन खान को बचाने के लिए 25 लाख रुपए में डील की थी। उसी डील की पहली किश्त के रूप में एएसआई 5 लाख रुपए ले रहा था। तभी क्राइम ब्रांच और जोन-1 की एडिशनल डीसीपी रश्मि मिश्रा समेत उनकी टीम ने एएसआई को रंगे हाथ धर दबोचा। बताया जा रहा है कि थाना टीआई गढ़वाल को इस परे घटनाक्रम की जानकारी थी। इसके बाद पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र के निर्देश पर एएसआई पवन रघुवंशी, थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल, हेड कॉन्स्टेबल धर्मेंद्र सिंह और टीकमगढ़ से रिश्वत देने आया अंशुल उर्फ मोना जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। खास बात यह है कि जिस ऐशबाग थाने में जितेंद्र गढ़वाल बतौर टीआई पदस्थ थे, उसी थाने में उन पर एफआईआर दर्ज हुई है। पुलिस की एक टीम टीकमगढ़ भी पहुंच गई है। इधर,पवन रघुवंशी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। इनके सीडीआर (कॉल डिटेल) भी निकाली जा रहा है। बुधवार दोपहर चारों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिय गया था। जानकारी के अनुसार, ऐशबाग थाना क्षेत्र में चल रहे कॉल सेंटर के माध्यम से देश भर में सायबर फ्रॉड होने का खुलासा हुआ था, इस मामले में कॉल सेंटर संचालक अफजल को गिरफ्तार किया गया था। अफजल के रिश्तेदार मुईन को केस से बाहर निकालने के लिए इन पुलिसकर्मियों ने 25 लाख की डील की थी। जिसकी जानकारी अधिकारियों को लग गई थी। 25 लाख में से 5 लाख की पहली किश्त देने के लिए पवन रघुवंशी के घर पर मुईन और अन्य लोग पहुंचे थे। पवन को 5 लाख रुपए मुईन दे रहा था इसी दौरान अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया, अन्य लोग जिनके पास 10 लाख रुपए थे वो मौके से भाग गए। पुलिस को जानकारी लग गई थी, कि इस मामले में पैसे देने के लिए मुईन अपने साथियों के साथ आएगा जिसके बाद से ही पवन रघुवंशी पुलिस की राडार पर था, उसे सर्विलांस पर डाला हुआ था। पवन रघुवंशी के घर से कॉल सेंटर से पकड़ाया एक लैपटॉप, प्रिंटर और कुछ उपकरण भी मिले है।
-निवेश के नाम पर की जा रही थी धोखाधड़ी
मामले में पुलिस ने पहले मास्टरमाइंड अफजल खान को गिरफ्तार किया था। फिर उसकी निशानदेही पर विपिन घोष, रामचंद्र यादव, ब्रज किशोर साहू, सौरभ कुशवाह, श्रेयांश सेन, रानू भूमरकर, अंकुर माछीवार और मोनिस को गिरफ्तार किया है। गिरोह आयडियोलॉजी (ए.टी.एस) के जरिए लोगों से निवेश करवाने के नाम पर धोखाधड़ी करता था। जांच में सामने आया है कि जांच कंपनी के कर्मचारी लोगों को टेली कॉलिंग के माध्यम से शेयर ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहे थे और अधिक लाभ का लालच देकर उनसे पैसे ऐंठ रहे थे। कंपनी के बैंक खाते महाराष्ट्र में दर्ज साइबर अपराधों से भी जुड़े हुए हैं। जब पुलिस ने कंपनी के दस्तावेजों की गहराई से जांच की, तो उसमें कई संदिग्ध लेन-देन पाए गए। फिलहाल पुलिस करीब 40 बैंक खातों की जांच कर रही है। जिनके नाम खाते हैं उनकी भूमिका की भी जांच कर रहे हैं, कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक और युवतियों से भी पूछताछ की जाएगी। पूरे मामले में हरिनारायण चारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर, भोपाल का कहना है कि कॉल सेंटर की जांच में कई शिकायते मिल रही थी, साइबर फ्रॉड से जुड़ा मामला था। जिसमें देश भर के लोगों को ठगा गया था, इस मामले की जांच में लापरवाही की गई है, इसी के चलते पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की गई है। आगे की जांच जारी है।