Thursday, March 20, 2025
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दिल्ली नगर निगम का बजट सत्र कोरम अभाव में हुआ स्थगित

-पार्षदों ने सुझाव कम रखें, आरोप ज्यादा लगाये

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) मुख्यालय में बुधवार को निगम के संशोधित बजट अनुमान 2024-25 और बजट अनुमान 2025-26 पर चर्चा आयोजित की गई। लेकिन बजट सत्र के दौरान कोरम (पार्षदों की निर्धारित संख्या से कम उपस्थिति) अभाव में स्थगित करना पड़ा और स्थगित होने से पहले बजट सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षदों ने सुझाव कम रखें जबकि एक दूसरे पर आरोप ज्यादा लगाये। बता दें कि दिल्ली नगर निगम मुख्यालय में आयोजित होने वाली सदन बैठकों में हंगामा होना आम बात रही है लेकिन बुधवार को बजट सत्र का आयोजन महापौर महेश कुमार खींची की अनुपस्थिति में आयोजित हुआ।

ऐसी स्थिति में गिमग में उप महापौर रविंद्र भारद्वाज की अध्यक्षता में पहले करीब ढाई घंटे बजट सत्र शांतिपूर्वक चला लेकिन करीब ढाई घंटे बाद बैठक से अनेकों पार्षद चले गए, जिसके चलते कोरम में पार्षदों की संख्या कम हो गई और बजट सत्र की बैठक स्थगित कर दी गई। बता दें कि बैठक में सत्तापक्ष आम आदमी पार्टी के पार्षद अंकुश नारंग की तरफ से बजट पर चर्चा शुरू हुई। उसके बाद विपक्ष में बैठे भाजपा के पार्षद जयभगवान यादव ने भी चर्चा शुरू की। बजट सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेसे के पार्षदों ने अपनी बात रखी और अपने दल की उपलब्धियां गिनाते हुए विपक्षी दल की कमियां निकाली। आप पार्षद व पूर्व महापौर डॉ शैली ओबरॉय, भाजपा पार्षद योगेश वर्मा, हेमचंद्र गोयल, संदीप कपूर, राकेश जोशी, नरेंद्र गिरसा, रमेश प्रधान, सुनील चड्ढा, सुनील राय, राकेश कुमार, प्रीति, चित्रा, रेनू चौधरी और धीरेंद्र कुमार ने अपने विचार रखे।

इंतजार करते रह गए पार्षद

बजट सत्र बैठक के दौरान भले ही होली मिलन कार्यक्रमों में शामिल होने की बात पार्षदों ने खुलकर नहीं की लेकिन बैठक में पार्षदों की घटती संख्या से यह साबित हो गया कि पार्षद बजट सत्र के लिए गंभीर नहीं है और जब सत्र स्थगित हो गया तो उन पार्षदों ने रोष व्यक्त किया जो बजट सत्र के दौरान बोल नहीं सके।

अधिकारी भी नहीं दिखे गंभीर

बजट सत्र दिल्ली नगर निगम के लिए सबसे गंभीर विषय माना जाता है क्योंकि इसमें निगम का वार्षिक लेखा जोखा निहित होता है लेकिन बुधवार को सत्र के दौरान जो हो रहा था, वह चिंता का विषय है। पार्षदों की संख्या कम होना तो एक राजनीतिक विषय है लेकिन वहीं अधिकारी भी बजट सत्र की बैठक से बीच में गायब हो जाए यह चिंता का विषय बताया गया।

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