राज्य में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए 2017 में बने अधिनियम के अनुसार प्रावधान और सुविधा नहीं होने पर रायपुर के अधिवक्ता विशाल कोहली ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। साथ ही मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान भी लिया है। दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई चल रही है। याचिका में बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ के नियम अनुसार 10 हजार लोगों पर एक मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि राज्य में 8 लाख लोगों पर एक डाक्टर है।प्रावधान के अनुसार हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रदेश के एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के लिए 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है, लेकिन उनमें से मात्र 3 पद पर ही सायकेट्रिस्ट नियुक्त हैं। इसके अलावा एक ईएनटी और एक आर्थोपेडिक चिकित्सक की नियुक्ति कर दी गई है। कोर्ट ने प्रावधान के अनुसार इलाज के लिए प्रदेश में की जा रही व्यवस्था और मानसिक चिकित्सालय में रिक्त पद भरने के लिए क्या किया जा रहा इस पर पूरी रिपोर्ट राज्य शासन से मांगी है।