हैदराबाद, (वेब वार्ता)। भाषा विवाद के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को देश में भाषा को लेकर टकराव के रुख के खिलाफ बात की और हर भारतीय भाषा को बढ़ावा देने का समर्थन किया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-हैदराबाद के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत समृद्ध भाषाओं का देश है। उन्होंने कहा कि संसद में भी 22 भाषाओं में एक साथ अनुवाद होता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कुछ बदलावों का जिक्र करना चाहता हूं जो चिंताजनक रूप से खतरनाक हैं… हमारी सभ्यतागत संस्कृति हमें समावेशिता सिखाती है। क्या भारत की भूमि पर भाषा को लेकर टकराव का रुख होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि हाल ही में जब भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया तो यह सभी के लिए गर्व का क्षण था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की भाषाएं गहन ज्ञान और बुद्धिमता से भरपूर साहित्य के लिहाज से सोने की खान हैं। उन्होंने कहा कि हर भाषा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
धनखड़ ने कहा, ‘‘इसलिए मैं देश के युवाओं से आह्वान करता हूं। सोशल मीडिया ने आपको निर्णय लेने की शक्ति दी है। अगर राष्ट्रवाद के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से कोई भटकाव होता है, अगर पक्षपातपूर्ण नजरिए से विकास का आकलन होता है, तो हमें निगरानी करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए आर्थिक रूप से प्रेरित ताकतों के विमर्श को कुंद किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कॉरपोरेट से विकास और नवाचार के लिए अनुसंधान में निवेश करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर हमारी रणनीतिक प्रणाली में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक युद्ध प्रणाली ध्वस्त हो गई है और कूटनीति चीजों को तय करती है। उन्होंने कहा, ‘‘नवाचार और अनुसंधान हमें ‘नरम कूटनीति’ में बहुत बढ़त देते हैं। हम एक महान शक्ति बन गए हैं। इसलिए मैं कॉरपोरेट से अपील करता हूं कि वे देखें कि पश्चिम में उनके साथी क्या कर रहे हैं। कृपया उनके करीब पहुंचें।’’