Monday, April 21, 2025
Homeराष्ट्रीय‘भारत-विरोधी नारेबाजी’ के लिए संपत्ति ध्वस्त किए जाने के मामले में महाराष्ट्र...

‘भारत-विरोधी नारेबाजी’ के लिए संपत्ति ध्वस्त किए जाने के मामले में महाराष्ट्र के प्राधिकारियों से जवाब तलब

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने एक क्रिकेट मैच के दौरान कथित तौर पर भारत-विरोधी नारेबाजी को लेकर सिंधुदुर्ग जिले में एक व्यक्ति और उसके परिजनों पर मामला दर्ज किए जाने तथा उसकी संपत्तियां ढहाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर महाराष्ट्र के प्राधिकारियों से सोमवार को जवाब तलब किया।

उक्त व्यक्ति की ओर से दायर याचिका में मालवण नगर परिषद के मुख्य अधिकारी और प्रशासक के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया और सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए निर्धारित की।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के रहने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि हाल ही में संपन्न चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान भारत-विरोधी नारे लगाने के आरोप में उसके, उसकी पत्नी और 14 वर्षीय बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 24 फरवरी को उसके मकान व दुकान को ध्वस्त कर दिया गया। 23 फरवरी को हुए मैच में भारत ने जीत हासिल की थी।

किताबुल्ला हमीदुल्ला खान की ओर से दायर याचिका में मालवण नगर परिषद के मुख्य अधिकारी और प्रशासक के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यह कार्रवाई संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में शीर्ष अदालत के 13 नवंबर 2024 के फैसले का उल्लंघन है।

उस फैसले में न्यायालय ने ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किए बगैर और पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिए बिना संपत्तियों को ढहाए जाने पर रोक लगा दी थी।

अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह मामला “घोर अवमानना” को दर्शाता है और दिखाता है कि सरकारी तंत्र ने किस तरह दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया।

याचिका के मुताबिक, प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि रात करीब 9.15 बजे जब शिकायतकर्ता अपने दोस्त के घर जा रहा था, तब मैच देख रहे याचिकाकर्ता के बेटे ने भारत-विरोधी नारा लगाया था।

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता और उसके नाबालिग बेटे को आधी रात को थाने ले जाया गया और लड़के को चार-पांच घंटे बाद जाने दिया गया।

याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी को जेल भेज दिया गया, जबकि 24 फरवरी को प्राधिकारियों ने उसकी टिन शेड वाली दुकान और घर को अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया।

इसमें कहा गया है, “अधिकारियों की कार्रवाई मनमानी, अवैध और दुर्भावनापूर्ण है। इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के एक वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।”

आरोपी व्यक्ति और उसकी पत्नी को 25 फरवरी को न्यायिक मजिस्ट्रेट की ओर से जमानत दे दी गई थी, लेकिन याचिका में कहा गया है कि घटनाक्रम से स्पष्ट है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई दंडात्मक थी।

याचिका के मुताबिक, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में कहा है कि आवास या आश्रय का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का एक अभिन्न हिस्सा है।

याचिका में कहा गया है, “राज्य और उसके अधिकारी कानून द्वारा स्वीकृत उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमाने और कठोर कदम नहीं उठा सकते।”

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments