-कुलदीप चंद अग्निहोत्री-
औरंगजेब को मरे अरसा हो गया। विदेश के जिन हुक्मरानों ने हिंदुस्तान पर राज किया, उनमें से सबसे ज्यादा निकृष्ट, अत्याचारी और कट्टर औरंगजेब को ही माना जाता है। यहां तक कि उसने अपने तमाम भाइयों को मरवा दिया। दारा शिकोह, जो इस्लाम के भारतीयकरण का हिमायती था, को तो गंदे कपड़े पहना कर उसको हाथी पर बिठा कर दिल्ली की गलियों में उसका जुलूस निकाला गया और फिर उसका सिर कलम करके औरंगजेब ने अपने बाप शाहजहां को तोहफे में दिया। इतना ही नहीं, दारा शिकोह के बेटे को भी मरवाया। अपने बाप को नजरबंद किया। नवम गुरु श्री तेग बहादुर जी को दिल्ली में शहीद किया। उस औरंगजेब की सल्तनत को शिवाजी महाराज ने दक्षिण में चुनौती ही नहीं दी, बल्कि महाराष्ट्र में हिंदी साम्राज्य की स्थापना की। औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र संभा जी महाराज को बहुत ही पाशविक तरीके से शहीद किया। औरंगजेब के प्रति हिंदुस्तान के लोगों में कितना क्रोध है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंजाब के पुआध इलाके के आनंदपुर साहिब में होला मोहल्ला के अवसर पर आज भी लाखों लोग जुटते हैं और वहां खालसा पंथ के प्रतीक निहंग जमीन पर दो ईंटें रख लेते हैं और उसे औरंगजेब की कब्र का प्रतीक मान कर उस पर निरंतर जूते मारते हैं। महाराष्ट्र में अभी पिछले दिनों शिवाजी महाराज और संभा जी महाराज के इतिहास को लेकर ‘छावा’ नाम की फिल्म चल रही है। लोग औरंगजेब के अत्याचारों को देख कर भावुक हो रहे हैं। जाहिर है उनके निशाने पर औरंगजेब ही है। लोग औरंगजेब को और भी गहरी कब्र में गाडऩा चाहते हैं, ताकि भारत में कभी उसका भूत भी न आ सके। लेकिन समाजवादी पार्टी लोगों की इस भावना से सहमत नहीं है। वह औरंगजेब को पुन: जिंदा करना चाहती है।
यह जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र में सिपाहसलार अबू आजमी ने उठाया। हो सकता है यह जिम्मेदारी उसको पार्टी ने ही सौंपी हो। लेकिन यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। मुख्य मुद्दा है औरंगजेब। अबू आजमी मरे हुए औरंगजेब को ही हिंदुस्तान का हीरो देखना चाहती है। इसलिए अब आजमी ने महाराष्ट्र की शिवाजी वाली धरती से औरंगजेब के कसीदे पढऩे शुरू कर दिए। उसका कहना है कि इस प्रकार का बादशाह हिंदुस्तान के इतिहास में आज तक नहीं हुआ है। हिंदुस्तान में औरंगजेब को नायक कौन बनाना चाहते हैं? अबू आजमी ने इसका भी जवाब दिया। उसने कहा मैं तो औरंगजेब के बारे में कुछ नहीं जानता। उसके बारे में मैंने जो किताबों में पढ़ा है, मैं तो उसी औरंगजेब की तारीफ कर रहा था। अबू आजमी की बात सही है। लेकिन औरंगजेब को महिमामंडित करने वाली किताबें किसने लिखी हैं? दिल्ली में औरंगजेब रोड किसने बनवाया है? भारत में यह काम सैयदों का किया धरा है। यह संयोग तो नहीं कहा जा सकता कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने वाला भी सैयद था और हिंदुस्तान का पहला शिक्षा मंत्री भी सैयद था। कांग्रेस के राज में शुरुआती दौर में जितने शिक्षा मंत्री हुए, उनमें अधिकांश या तो सैयद थे या उन सैयदों के चेले। अबू आजमी जानते हैं कि सैयदों या उनके चेलों ने ही औरंगजेब को महिमामंडित करने का काम किया है, जिसको अबू आजमी आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन केवल सैयदों को पकडऩे से काम नहीं चलेगा। कांग्रेस में सैयद घुस गए थे और वे अपना काम कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने अपने कुछ दूसरे कारकून भी इस काम में लगा दिए थे। उनमें सबसे बड़े थे बीडी शर्मा। शर्मा ने तो औरंगजेब की स्तुति में एक पूरी किताब ही लिख दी थी। शर्मा का कहना था कि औरंगजेब ने काशी का विश्वनाथ मंदिर इसलिए गिरवा दिया था, क्योंकि वहीं औरतों से बलात्कार होता था। कांग्रेस ने इस मौलिक खोज से खुश होकर उसको ओडिशा का राज्यपाल बना दिया था। ये लोग जो आज भी सब काम छोडक़र औरंगजेब को जिंदा करने के काम में जी-जान से लगे हुए हैं, उनके पास इसके प्रमाण क्या हैं? इनको देख लेना जरूरी है। सैयदों का कहना है कि इतना बड़ा बादशाह होने के बावजूद औरंगजेब टोपियां बुना करता था। उन टोपियों से वह अपने परिवार का गुजारा किया करता था। सैयदों को लगता है कि औरंगजेब की इन हरकतों से हिंदुस्तान के देसी मुसलमान, जिन्हें वे पसमांदा मुसलमान कहते हैं, औरंगजेब की कब्र के आगे अपने आप ही सिजदा करना शुरू कर देंगे। लेकिन इस पूरे विवाद का एक दूसरा पक्ष भी है।
औरंगजेब अच्छा बादशाह था या बुरा बादशाह था, इसको थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दिया जाए, तो इस बात में तो कोई शक नहीं है कि मुगल वंश हिंदुस्तान में मध्य एशिया से आया हुआ एक विदेशी राजवंश था, जिसने हिंदुस्तान को गुलाम बना लिया था। प्रश्न उसके अच्छे-बुरे का नहीं है, प्रश्न है एक विदेशी बादशाह को भारत में से उखाडऩा। मुगलों की हुकूमत को शिवाजी मराठा, गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप और लचित बुरफोकन ने मिलकर एक समय जर्जर कर दिया था। आज इक्कीसवीं शताब्दी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लोग मिल कर भी मुगल वंश के वारिसों को भारत की गद्दी पर तो नहीं बिठा सकते, लेकिन उस वंश के रहबर औरंगजेब को भारत के इतिहास में नायक के तौर पर स्थापित कर ही सकते हैं। अबू आजमी पार्टी के आदेश पर इसी काम के लिए घर से निकले थे। लेकिन बुरे फंस गए। न अब खाते बनता है और न ही उगलते बनता है। इस मसले पर महाराष्ट्र के साथ-साथ कई अन्य राज्यों में भी उबाल आ गया है। उत्तर प्रदेश की ही बात करें, तो इस मसले पर वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी के लहजे में कहा है कि इस तरह के लोगों को सीधे करने के लिए उत्तर प्रदेश भेजा जाना चाहिए। यह मसला भारत में सांप्रदायिक तनाव का कारण नहीं बनना चाहिए, इस दिशा में काम होना चाहिए। जो ताकतें भारत में शांति और विकास की पक्षधर हैं, उन्हें एकजुट होकर देश को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। इस मसले पर जनमत बंटा हो सकता है, किंतु भारत को सशक्त करना सभी भारतीयों का लक्ष्य होना चाहिए और उसी दिशा में काम हो।