नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। केंद्रीय रासायन एवं उर्वरक मंत्री जे पी नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक की कीमतों में उतार चढाव के बावजूद हमारे यहां कीमतें स्थिर है।
श्री नड्डा ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार है जिसमें उर्वरक की दृष्टि से जो भी संभव प्रयास थे वह किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 से 2018 तक यूरिया का 50 किलो का बोरा 268 रुपये में मिलता था जो वर्तमान में प्रति बोर 245 रुपये में मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2012 में एक क्विंटल की बोरी वर्ष 2012 से 2018 तक 536 रुपये में मिलती थी जो वर्तमान में 538 रुपये में मिल रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को यूरिया की बोरी 1700 रुपये की पडती है और उस पर लगभग 85 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने कहा कि कोविड 19 के बाद अंतराष्ट्रीय बाजार में उतार चढाव के बावजूद मोदी सरकार ने डीएपी की बोरी में करीब साठ फीसदी की सब्सिडी देने का काम किया गया। 3400 रुपये की डीएपी की बोरी को 1350 रुपये में दिया जाता है। उऩ्होंने कहा कि महंगाई पांच प्रतिशत की दर से बढने के बावजूद सरकार ने उर्वरक की कीमती स्थिर रखी है।
उऩ्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि यूरिया की पचास किलो की बोरी को 45 किलो इसलिए किया गया क्योंकि इसमें रिसाव धीमी गति से होता है औऱ जो आवश्यकता 50 किलो में पूरी होती थी वह अब 45 किलो में पूरी हो रही है।
उन्होंने कहा कि नीम कोटेड यूरिया से मिट्टी की गुणवत्ता में बढोत्तरी हो रही है और फसल की उपज भी बढ रही है।