अंधेर नगरी चौपट राजा…?
-मुकेश शर्मा/9617222262
ग्वालियर/भिंड। गुरुवार यानि 20 तारीख को कलेक्टर भिंड ने अपने एक आदेश में कलेक्ट्रेट के 10 कर्मचारियों का ट्रांसफर करदिया पर कोई बात नहीं ये कलेक्टर का विशेषाधिकार है किसको कहां ट्रांसफर करना हैं। परंतु उनके विशेषाधिकार पर तब प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है जब शासन प्रशासन के दर्जनों आदेशों के बाद सिचाई विभाग लहार के स्टेनो राजकुमार गुप्ता नियम विरुद्ध कलेक्ट्रेट में 15 वर्षो से जमे हैं पर क्या मजाल कोई गुप्ता को मूल विभाग में भेज सके? तब अंधेर नगरी चौपट राजा बाली कहानी याद आती है। हालांकि चम्बल अंचल के भिंड मुरैना जिले में अटैचमेंट की प्रक्रिया के कारण अफसरशाही हिटलरशाही के लिए कुख्यात हो चुकी है।
भिंड मुरैना में करीब दो दर्जन से अधिक कर्मचारी से लेकर आला अफसर तक अटेचमेंट पर लगे हुए हैं तो कुछ यहां के अफसर अन्य विभागों में अटैच होकर मलाई खा रहे हैं, जहां जनता के काम करने के लिए किसी अफसर और कर्मचारी के पास समय नहीं है। यही वजह है कि सरकारी दफ्तरों में लंबित फाइलों के अंबार लगे हैं। खास तौर पर राजस्व विभाग में और सबसे बड़ी समस्या होती है जहां एक कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक को दूसरे विभाग या स्थान पर अटैच कर दिया जाता है और फिर खेल शुरू होता है आदेश आदेश खेलने का…..।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है भिंड जिला कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ स्टेनो राजकुमार गुप्ता का। जो निरंतर कई वर्षों से मूल विभाग छोड़कर प्रशासनिक मुखिया के अंग बनकर अंगद के पैर की तरह वर्षों से जमे हुए हैं और लगातार अफसरों पर राजनीतिक या आर्थिक दबाव बनवाकर शाशन के आदेश को ठेंगा दिखाकर सरकारी फरमान की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
कलेक्टर कार्यालय जिला भिंड में अटैच राजकुमार गुप्ता स्टेनो जिनकी पोस्टिंग जल संसाधन विभाग लहार में वर्ष 2007 में हुई थी। जहां से वो एक वर्ष बाद अर्थात 2008 से अपर कलेक्टर भिंड के कार्यालय में अटैच हो गए थे। इसके बाद वर्ष 2016 से स्टेनो टू कलेक्टर के यहां अटैच हैं। जबकि मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट आदेश हैं कि अटैचमेंट समाप्त किए जाएं। इस संबंध में शासन द्वारा समय समय पर आदेश भी जारी किए गए हैं। जिसके अनुसार आदेश क्रमांक एफ/6_2/2012/एक/9, दिनांक 25.6.2013 द्वारा सभी प्रकार के संलग्नीकरण तत्काल समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी प्रकार आदेश दिनांक 18.1.2000, दिनांक 4.6.2019 एवं दिनांक 24.6.2021 से भी सभी प्रकार के अटैचमेंट समाप्त करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
शासन के इसी आदेश के आधार पर वर्ष 2018 में श्री गुप्ता का अटैचमेंट आदेश 21.12.2018 को समाप्त किया जाकर उन्हें मूल विभाग जल संसाधन लहार के लिए आदेश जारी किया गया था। परंतु इनके द्वारा पूर्व कलेक्टर धनराजू एस पर राजनैतिक दवाब डलवाकर उक्त आदेश को उसी दिन निरस्त करवाया गया। इस प्रकार श्री गुप्ता स्टेनो टू कलेक्टर के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से शासन आदेश के विपरीत अटैच बने हुए हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में इनका आदेश निर्वाचन कार्य को सम्पन्न कराने हेतु आदेश क्रमांक 7813 दिनांक 30.7.2020 से आगामी आदेश तक के लिए संयोजित किया गया था। जबकि निर्वाचन कार्य काफी लंबे समय पूर्व ही समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद भी इन्हे आज दिनांक तक कार्यमुक्त नही किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्री गुप्ता के मूल विभाग जल संसाधन द्वारा इन्हें वापिस किए जाने की मांग भी पत्र क्रमांक 360 दिनांक 14.2.2019 एवं पत्र क्रमांक 2054 दिनांक 17.7.2019 से की गई किंतु अभी तक इन्हें मूल विभाग में वापिस नही किया गया। इस प्रकार राजकुमार गुप्ता द्वारा शासन आदेशों के विरुद्ध अटैच रहकर कार्य किया जा रहा है।
यहां यह भी ज्ञात हुआ है कि राजकुमार गुप्ता द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जल संसाधन विभाग से राजस्व विभाग में संविलियन की कार्यवाही हेतु नियमों के विपरीत शासन को कलेक्टर के माध्यम से पूर्व में प्रस्ताव भिजवाए गए हैं। जिसकी स्थापना शाखा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इनके द्वारा स्थापना शाखा का दुरुपयोग करते हुए पत्र प्रमुख राजस्व आयुक्त एवं प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र क्रमांक क्यू/2ख/स्थापना/2018/2651_52 दिनांक 13.3.2018 एवं पत्र क्रमांक 280 दिनांक 27.6.2019 तथा पत्र क्रमांक 525 दिनांक 15.11.2019 से प्रमुख राजस्व आयुक्त भोपाल को पत्र भेजे गए हैं, जबकि वास्तिकता में इन पत्रों के संबंध में स्थापना शाखा अथवा प्रभारी अधिकारी स्थापना द्वारा कोई कार्यवाही ही नही की गई है। यही नहीं कलेक्ट्रेट की जावक शाखा से उक्त पत्र क्रमांक 2651_2652 दिनांक 13.3.2018 के संबंध में दर्ज किया गया है कि बंद लिफाफा स्टेनो शाखा से प्राप्त होने का उल्लेख है। इसके अलावा पत्र क्रमांक 280 तथा पत्र क्रमांक 525 जावक पंजी में अन्य विभागों के नाम से दर्ज हैं। इस प्रकार कथित एवं कूट्रचित तरीके से पत्र भेजे गए हैं,जिनकी जांच भी की जाना आवश्यक है।
अब देखना यह है कि जिले के प्रशासनिक मुखिया, न्यायप्रिय तथा शासन आदेशों का पालन कराने वाले कलेक्टर द्वारा राजकुमार गुप्ता का अटैचमेंट समाप्त कर उनके मूल विभाग जल संसाधन लहार में वापिस भेजेंगे या दबाव और प्रभाव में मामला रफादफा हो जायेगा? क्या कलेक्टर जल संसाधन लहार से विगत 15 वर्षों से नियम विरुद्ध तरीके से अटैच स्टेनो राजकुमार गुप्ता को मूल विभाग में वापिस भेजेंगे?
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर कार्यालय में 10 कर्मचारियों का फेरबदल किया गया है, लेकिन स्टेनो जो कि 15 वर्षों से शासन नियमों के विरुद्ध अटैच हैं उन्हें वापिस नही किया गया है।