सांता क्लारा, (वेब वार्ता)। सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील जे साई दीपक का कहना है कि भारत के लिए आने वाले पांच साल विभिन्न मोर्चों पर आर्थिक स्थिरता के साथ-साथ अस्थिरता वाले भी होंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सड़क पर होने वाले विरोध प्रदर्शन से निपटने के लिए कोई तंत्र नहीं बनाती है तो देश की विकास गाथा कानून और व्यवस्था के मुद्दों के कारण बाधित होगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय राय या पश्चिम की राय से प्रभावित हुए बिना परिस्थितियों को मजबूती से संभालने की क्षमता में अधिक रुचि रखता हूं क्योंकि हमें वह करने की जरूरत है जिससे हम खेल में बने रहें।”
भारत के विकास की गाथा
साई दीपक ने पीटीआई- भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे लगता है कि भारत की आर्थिक सफलता कई कारकों के कारण एक पूर्वनिर्धारित निष्कर्ष है और मैं यहां अति आत्मविश्वास में नहीं हूं। लोगों के भीतर आर्थिक विकास की भूख है जो भारत की गाथा को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ा रही है।” साई दीपक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थकों के बीच एक लोकप्रिय वक्ता भी हैं । उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुकूल माहौल बनाने के लिए जो सक्षम कारक बनाने का निर्णय लिया है उसके साथ आर्थिक विकास की यह भूख निश्चित रूप से विकास की गाथा रचने में मदद करेगी।
‘देखने को मिल सकते हैं शहरी संघर्ष’
साई दीपक ने कहा, “अगर सरकार सड़क पर होने वाले विरोध प्रदर्शनों के बदले रूप से निपटने के लिए एक तंत्र के साथ सामने नहीं आती है, जिसे हम पिछले पांच वर्षों से देख रहे हैं, तो विकास की गाथा कानून-व्यवस्था के मुद्दों से बाधित होगी। यह भारत के लिए अनोखा नहीं है। ऐसा लगता है कि यह रणनीति दुनिया भर में अपनाई गई है। मुझे नहीं लगता कि भविष्य में उस प्रकार के आतंकवादी हमले होंगे जो आपने शायद पिछले 20 या 25 वर्षों में देखे हैं, आप बहुत सारे शहरी संघर्ष देख सकते हैं।”
‘भारत को तैयार रहने की जरूरत’
साई दीपक ने कहा, ”मुझे लगता है कि भारत को इस तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरूरत है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है, तो 2019 और 2024 के बीच हुए कम से कम दो विरोध प्रदर्शनों का प्रयोग बड़े पैमाने पर दोहराया जाएगा।” शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन और तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए दीपक ने कहा कि उन्हें इस बात की अधिक चिंता है कि सरकार और समाज चुनाव के नतीजों की तुलना में इस पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे।