Sunday, March 23, 2025
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क्या इस बार भी मार्च का महीना बचा पाएंगा शेयर मार्केट

मुंबई, (वेब वार्ता)। शेयर मार्केट के इतिहास में मार्च का महीना अभी तक शुभ रहा है, क्या इस बार भी मार्च का महीना शेयर मार्केट का तारणहार बनेगा।

लंबे समय से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। फरवरी के अंतिम कारोबारी दिन निफ्टी 50 में 420 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 22,124.70 के स्तर पर बंद हुआ। यह लगातार पांच महीनों की गिरावट के साथ 1996 के बाद की सबसे लंबी मंदी बन गई है। सितंबर के उच्चतम स्तर से अब तक निफ्टी करीब 15फीसदी लुढ़क चुका है, जिससे भारत वैश्विक बाजारों में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल हो गया है। बाजार में इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें कमजोर कॉरपोरेट कमाई, विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और अमेरिका की टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चितता प्रमुख हैं। सितंबर के अंत से विदेशी निवेशकों ने करीब 25 बिलियन डॉलर भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिए हैं, और अकेले फरवरी में 4.1 बिलियन डॉलर की बिकवाली दर्ज की गई। अब तक निवेशकों को 85 लाख करोड़ रुपए (लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर) का नुकसान हो चुका है।

निवेशकों को अब मार्च महीने से बाजार में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से यह महीना निफ्टी के लिए सकारात्मक रहा है। पिछले दस वर्षों में सात बार मार्च में निफ्टी ने बढ़त दर्ज की है। 2016, 2017, 2019, 2021, 2022, 2023 और 2024 में निफ्टी मजबूत रहा, जबकि 2015, 2018 और 2020 में गिरावट आई थी। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि “मार्च की सीजनलिटी अकेले निफ्टी के ट्रेंड को बदलने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।” विश्लेषकों का मानना है कि बाजार को ऊपर उठाने के लिए ठोस सुधार और स्थिर आर्थिक संकेतकों की जरूरत होगी।

छोटे और मध्यम शेयरों पर सबसे ज्यादा असर

इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर छोटे और मध्यम शेयरों पर पड़ा है। फरवरी में निफ्टी स्माल कैप 100 और मिड कैप 100 इंडेक्स क्रमशः 13.2 फीसदी और 11.3 फीसदी गिर चुके हैं। पिछले साल के उच्चतम स्तर से स्मॉल-कैप 26 फीसदी और मिड-कैप 22 फीसदी तक लुढ़क चुके हैं। वहीं कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सीईओ प्रतिक्ष गुप्ता का कहना है कि “म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पोर्टफोलियो प्रबंधन फंड अब इक्विटी में निवेश करने से बच रहे हैं।” आदित्य बिड़ला सन लाइफ एसेट मैनेजमेंट के सीआईओ महेश पटेल के अनुसार, “अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के कारण भारतीय बाजार पर दबाव बना रहेगा। अगले कुछ महीनों तक भारत ‘सेल ऑन राइज’ बाजार बना रहेगा,” यानी थोड़ी बढ़त पर निवेशक मुनाफा वसूल सकते हैं, जिससे बाजार में स्थायी रिकवरी की संभावना कम होगी।

क्या करें निवेशक?

बाजार में जारी इस गिरावट के बीच निवेशक अब सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। सोना और सरकारी बॉन्ड जैसी संपत्तियों में निवेश बढ़ रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि लंबी अवधि के निवेशकों को सावधानी से रणनीति बनानी चाहिए और बाजार में स्थिरता आने तक धैर्य बनाए रखना चाहिए।

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