Tuesday, May 21, 2024
HomeलेखMP LS Chunav: मध्यप्रदेश की आधी लोकसभा सीटों पर प्रभाव, फिर भी...

MP LS Chunav: मध्यप्रदेश की आधी लोकसभा सीटों पर प्रभाव, फिर भी भाजपा कांग्रेस की पसंद से बाहर मुस्लिम वोटर

-खान आशु-

मध्यप्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों से करीब आधी ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम बहुलता है। 10 प्रतिशत से ज्यादा वोटर्स रखने वाली कई विधानसभाएं ऐसी भी हैं, जिनमें जीत या हार के निर्णायक वोट इसी समुदाय से होते हैं। बावजूद इसके इस बड़ी तादाद के लिए न भाजपा किसी प्रयास को आगे बढ़ाती है और न ही इस कौम को अपना वोट बैंक मानकर चलने वाली कांग्रेस ही इनकी तरफ कोई तवज्जो दे रही है। इन हालात का एक स्पष्ट कारण यह है कि मुस्लिम समुदाय का वोट न तो स्थिर है और न ही संगठित। अपनी डफली, अपनी राग के साथ कई टुकड़ों में बंटे हुए वोट से किसी को एकमुश्त राहत दिखाई नहीं देती है।

वर्ष 2023 की स्थिति में

मध्यप्रदेश की आबादी 8.77 करोड़ है। इसका 6.57 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो लगभग 60 लाख है। इनमें करीब 50 लाख मतदाता हैं। मप्र में 230 विधानसभा में से करीब 45 विधानसभा ऐसी हैं, जहां 20 हजार से अधिक (करीब 10 प्रतिशत) मुस्लिम मतदाता हैं। प्रदेश में 70 से अधिक ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विधानसभा में 57 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन सीट आरक्षित होने के बावजूद जीत हार में निर्णायक भूमिका में होते हैं। जैसे निमाड़ मालवा के आरक्षित क्षेत्र जहां 1000 या 2000 से हार जीत होती है। यहां इस वर्ग ने कांग्रेस की जीत को हमेशा मजबूती प्रदान की है। मुस्लिम बहुल कही जाने वाली इन 33 सीटों पर कुल मुस्लिम वोट लगभग 15 लाख हैं, जो कुल वोटर का 1 से 2 प्रतिशत होते हुए भी सरकार बनाने या बिगाड़ने का काम करते हैं।

सबसे ज्यादा असर यहां

प्रदेश के करीब 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं का करीब 70 से 72 प्रतिशत वोट इंदौर और उज्जैन संभाग में मौजूद है। इनमें इंदौर संभाग की इंदौर एक और इंदौर पांच, महू, राऊ, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर विधानसभा शामिल हैं। इसी तरह उज्जैन संभाग के उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, जावरा, शाजापुर, शुजालपुर, आगर मालवा आदि विधानसभा मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल हैं। इस लिहाज से प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा इस समुदाय के वोट से प्रभावित होने वाला है।

असर में राजधानी भी

भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली राजधानी भोपाल की लोकसभा सीट भी बड़ी मुस्लिम आबादी वाली है। यहां की कुल सात विधानसभा सीटों में से तीन उत्तर, मध्य और नरेला मुस्लिम बहुल हैं। जबकि इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाला सीहोर भी बड़ी मुस्लिम आबादी रखता है। बावजूद इसके अब तक इस सीट से किसी भी पार्टी ने किसी मुस्लिम चेहरे को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया। बल्कि भाजपा ने इस सीट पर पिछले चुनाव घोर मुस्लिम विरोधी साध्वी प्रज्ञा पर दांव लगाया था। इस चुनाव भी पार्टी ने आलोक शर्मा को अपना प्रत्याशी बनया है, जिन पर भरे मंच से मुस्लिमों से वोट न करने की अपील करने के आरोप लगे हुए हैं।

नहीं पनप पाई मुस्लिम सियासत

प्रदेश में मुस्लिम सियासत का ग्राफ कभी भी बहुत ऊंचा नहीं जा पाया है। यहां खान शाकिर अली खान से शुरू होने वाली अगुवाई आरिफ अकील और आरिफ बेग जैसे नाम पर खत्म हो गई। बीच में रसूल अहमद सिद्दीकी, हसनात सिद्दीकी या आरिफ मसूद जैसे सक्रिय नाम लिए जा सकते हैं। इनके अलावा मरहूम गुफरान ए आजम, मरहूम डॉ. अजीज कुरैशी और पूर्व सांसद असलम शेर खान जैसे नाम भी हैं, लेकिन इनकी सियासत भी एक दायरे तक ही सीमित रही। भाजपा की सतत देशव्यापी बढ़त ने कई नए चेहरे तो दिए, लेकिन इनकी सीमाएं भी अल्पसंख्यक मोर्चा और मुस्लिम संस्थाओं तक ही बंध कर रह गईं।

इस कड़ी में इकलौता नाम डॉ. सनव्वर पटेल का लिया जा सकता है, जिन्हें पार्टी ने अपने मुख्य संगठन में प्रवक्ता के रूप में शामिल किया है। इसके अलावा उन्हें दो बार कैबिनेट मंत्री के दर्जे से भी नवाजा जा चुका है। हालांकि, भाजपा की विचारधारा से जुड़ने वाले मुस्लिम नेताओं में मरहूम रियाज अली काका, मरहूम अनवर मोहम्मद खान और मरहूम सलीम कुरैशी के अलावा जाफर बेग, हकीम कुरैशी, कलीम अहमद बच्चा, एसके मुद्दीन, शौकत मोहम्मद खान, आगा अब्दुल कय्यूम खान, हिदायत उल्लाह खान जैसे नाम भी शामिल हैं।

बिखराव ने किया नुकसान

प्रदेश से लेकर देश तक में बने हालात के बीच मुस्लिम वोट हमेशा बिखरा हुआ रहा है। लंबे समय तक कांग्रेस के खूंटे से बंधे रहे इस समाज से अब कांग्रेस महज 80 फीसदी वोट चाहती है, जबकि इसके बदले में न तो वह संगठन में मुस्लिम चेहरा शामिल करना चाहती है और न ही कोई प्रतिनिधित्व देकर इस कौम को आगे बढ़ाने की मंशा रखती है। भाजपा शुरू से अपने स्पष्ट रवैए पर अब भी तटस्थ है, वह इस कौम के करीब जाकर उस बंधे बंधाए बड़े वोट बैंक से छिटकना नहीं चाहती, जिसके दम पर वह देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा लिए बैठी है। हालांकि, बदले हालात में मुस्लिम वोट का रुझान भाजपा की तरफ बढ़ चुका है। मप्र के पिछले चुनावों से लेकर दिल्ली के बड़े चुनावों तक में इसके बढ़े हुए वोट प्रतिशत को देखा जा सकता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमारे बारें में

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments