Friday, March 14, 2025
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यमुना के 23 स्थानों पर जल की गुणवत्ता मानदंडों पर खरी नहीं उतरी: संसदीय समिति

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। संसद की एक समिति ने कहा है कि दिल्ली के एक हिस्से में यमुना नदी की, जीवन को बनाए रखने की क्षमता लगभग नगण्य पाई गई है। समिति ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में छह सहित 33 निगरानी स्थलों में से 23 स्थल प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते। यमुना नदी दिल्ली में 40 किलोमीटर लंबे क्षेत्र से होकर बहती है, जो हरियाणा से पल्ला में प्रवेश करती है और असगरपुर से उत्तर प्रदेश की ओर निकलती है।

जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि नदी में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर, जो जीवन को बनाए रखने की नदी की क्षमता को दर्शाता है, दिल्ली के इस हिस्से में लगभग नगण्य पाया गया। दिल्ली में ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और नदी तल प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में समिति ने चेतावनी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जलमल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण और उन्नयन के बावजूद प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से उच्च बना हुआ है।

समिति ने प्रदूषण से निपटने और नदी की स्थिति को बहाल करने के लिए सभी हितधारकों से समन्वित प्रयासों का आह्वान किया। इसमें कहा गया है कि 33 निगरानी स्थलों में से उत्तराखंड में केवल चार और हिमाचल प्रदेश में भी चार ही प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ जनवरी 2021 और मई 2023 के बीच 33 स्थानों पर जल गुणवत्ता का आकलन किया।

मूल्यांकन में घुलित ऑक्सीजन (डीओ), पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म (एफसी) के चार प्रमुख मापदंडों को शामिल किया गया। विश्लेषण से पता चला कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सभी चार-चार निगरानी स्थल आवश्यक मानकों को पूरा करते हैं, जबकि हरियाणा में सभी छह स्थल इसमें विफल रहे।

अतिक्रमण होने की वजह से यमुना संकरी हो गई-समिति

दिल्ली में, 2021 में सात में से कोई भी स्थान मानकों का अनुपालन करता नहीं पाया गया, हालांकि पल्ला में 2022 और 2023 में सुधार दिखाई दिया। समिति ने यमुना के बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण पर विशेष चिंता जताई। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली और हरियाणा ने अतिक्रमणों के बारे में जानकारी प्रदान की, वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने अभी तक पूरा विवरण नहीं दिया है।

समिति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने डूब क्षेत्रों के किनारे अतिक्रमण से लगभग 477.79 हेक्टेयर भूमि को मुक्त कराया है। हालांकि, चल रहे मुकदमे के कारण बाढ़ संभावित क्षेत्र के कुछ हिस्से पर कब्जा बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार यमुना नदी के तल में जमा हुआ मलबा बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।

स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए टीम करेगी अध्ययन-समिति

सीएसआईआर-नीरी के सहयोग से दिल्ली सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि मानसून से पूर्व की अवधि के दौरान पुराने लोहे के पुल, गीता कॉलोनी और डीएनडी पुल के ऊपर की ओर से एकत्र किए गए मलबे के नमूनों में क्रोमियम, तांबा, सीसा, निकल और जस्ता जैसी भारी धातुओं का उच्च स्तर पाया गया।

समिति ने इस जहरीले कचरे को हटाने के लिए नियंत्रित ड्रेजिंग की सिफारिश की और चेतावनी दी कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है और नदी की गुणवत्ता को खराब करने में योगदान देता है। हालांकि, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने चिंता जताई है कि बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग से नदी का तल अस्थिर हो सकता है तथा पर्यावरण को और नुकसान पहुंच सकता है।

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