नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह का कहना है कि लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर उनकी पार्टी दक्षिण के राज्यों के साथ है। उन्होंने जनसंख्या के आधार पर परिसीमन का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा करके भाजपा अपने प्रभाव वाले राज्यों में लोकसभा सीटें बढ़ाना चाहती है, ताकि नरेंद्र मोदी आजीवन प्रधानमंत्री पद पर बने रहें। संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी डिलिमिटेशन के मामले में किसी भी राज्य के साथ भेदभाव के खिलाफ है।
आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर संजय सिंह का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘डिलिमिटेशन के मुद्दे पर हम दक्षिण के राज्यों के साथ हैं, किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। अभी की जो परिस्थितियां हैं, उसमें तो पंजाब का प्रतिनिधित्व भी प्रतिशत के आधार पर लोकसभा में कम होने जा रहा है।’ संजय सिंह ने कहा, ‘पंजाब राज्य में जहां पर आम आदमी पार्टी की सरकार है, इस डिलिमिटेशन में पंजाब का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। कुछ सीटें तो बढ़ेंगी हमारी, लेकिन जब आप 850 सीटें करने जा रहे हैं, तो पार्लियामेंट के अंदर जो प्रतिशत आज है पंजाब के प्रतिनिधित्व का, वह कम हो जाएगा।’
आगे उन्होंने कहा, ‘ऐसा थोड़ी है कि सारी अक्ल भाजपाइयों को ही मिली हुई है। तुम्हें लग रहा है जिन राज्यों में तुम्हारा प्रभाव है वहां पर तुम सीटें बढ़ा लोगे, फिर विश्वगुरू हमेशा के लिए, जब तक जीवित है, तब तक वो देश के प्रधानमंत्री बने रहेंगे, तो विश्वगुरू की पार्टी को ऐसा नहीं करने देंगे हम।’
‘भाजपा ने सब त्यौहारों का बेड़ा गर्क किया’
भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘इस पार्टी (भाजपा) ने होली, दिवाली और ईद का त्यौहार भी विवादों का त्यौहार बना दिया है, बीजेपी ने सब त्यौहारों का बेड़ागर्क कर दिया है, कोई भी त्यौहार शांति से मना ही नहीं सकते। किसी भी त्यौहार से पहले बीजेपी और पूरा मीडिया इसी काम में लग जाता है कि किस तरह देश में नफरत फैलाई जाए।’ इतिहास पढ़ाने के मुद्दे पर संजय सिंह ने कहा, ‘योगी और भाजपा के पुरखों ने किस तरह आंदोलन में अंग्रेजों का साथ दिया। आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अंग्रेज गवर्नर को चिट्ठी लिखकर कहा था कि आजादी के आंदोलन को कुचल देना चाहिए। ये इतिहास भी बच्चों को पढ़ाना चाहिए।’
क्या है परिसीमन जिस पर हो रहा विवाद?
बता दें कि आने वाले वक्त में परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों की संख्या बढ़नी है, और अगर यह परिसीमन आबादी के आधार पर होता है तो दक्षिण भारत के राज्यों को सीटों की संख्या के मामले में नुकसान होने की आशंका है, इसी वजह से दक्षिण के राज्य जनसंख्या के आधार पर होने वाले इस परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। वहीं इस मुद्दे पर बुधवार को लोकसभा में बोलते हुए तमिलनाडु से डीएमके सांसद डीएम कथिर आनंद ने संभावित परिसीमन सिर्फ जनसंख्या के आधार पर ना करते हुए इसके लिए राज्य की प्रति व्यक्ति आय, वस्तु एवं सेवा कर संकलन, कृषि आय, निर्यात आदि को भी मानदंड बनाने की मांग की।
उधर इसी मुद्दे को लेकर 22 मार्च को डीएमके ने चेन्नई में दक्षिण भारत के सर्वदलीय नेताओं की बैठक भी बुलाई है। इस बैठक का आयोजन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर चर्चा के लिए किया जा रहा है।