ओम बिरला ने विधानसभा में नये विधायकों को सिखाया पाठ, कहा- देश के लिए मॉडल बन सकती है दिल्ली विधानसभा
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विधानसभा में मंगलवार से नवनिर्वाचित विधायकों के लिए दो दिन का ओरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू हुआ। इस मौके पर लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे और उन्होंने नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्यों को लोकतांत्रिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के मंत्र दिए। उन्होंने कहा कि विधायक दक्षता हासिल करेगा, तो इसका लाभ दिल्ली को मिलेगा। दिल्ली की विधानसभा मॉडल हो, यहां चर्चा, विचार, मंथन हो, विधायकों की कार्य कुशलता बढ़े, तकनीकि का अधिकतम उपयोग हो, ये देश के लिए मॉडल हो सकती हैं, जिसे दूसरे राज्यों की विधानसभा मॉडल को अपनाएं।
दिल्ली एक मिनी भारत: लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सभी निर्वाचित सदस्यों को एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी और दायित्व दिल्ली की जनता ने दिया है। जिस भवन में बैठे हैं वह भवन आजादी के संघर्षों का साक्षी रहा है। सभी को एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। यह भवन महान स्वतंत्रता सेनानियों के महान विचारों को अभिव्यक्ति का सदन रहा है। इसी भवन से आजादी की लड़ाई के साथ हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को शुरू करने की शुरुआत हुई थी। दिल्ली के अंदर सभी राज्यों की विविधताएं हैं। दिल्ली को एक मिनी भारत के तौर पर देखा जाता है। इसलिए हमारी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि आखिर उनकी अपेक्षाएं और आकांक्षाओं को कैसे पूरा किया जाए?
नई सरकार से बड़ी अपेक्षा और आकांक्षाएं: आगे लोकसभा स्पीकर ने कहा, दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही दिल्ली विधानसभा के अंदर होने वाली चर्चा और संवाद से लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना है। जिससे बाकी देश में एक नया संदेश जा सके। उन्होंने कहा नई सरकार से बड़ी अपेक्षा और आकांक्षाएं हैं। जब आकांक्षाएं ज्यादा होती है तो हमें काम भी इस दृष्टिकोण से करना होता है। जनता ने बड़ी जिम्मेदारी दी है, इस जिम्मेदारी को सदन के माध्यम से कैसे कर सकते हैं? उसके लिए दो दिन तक विभिन्न विषयों पर संवाद होगा, मंथन होगा ताकि हम विधानसभा के इस भवन के माध्यम से एक श्रेष्ठ विधायक होने के साथ-साथ हम जनता के उन सब चुनौतियों के समाधान का रास्ता भी निकलें। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारी सारी विधानसभा की नियम प्रक्रिया की जानकारी हो, जितनी विधानसभा के नियम प्रक्रियाओं की जानकारी होगी उतना ही इस विधानसभा का श्रेष्ठ उपयोग कर पाएंगे।
जितना अधिक टेक्नोलॉजी का उपयोग उतना बेहतर संवाद: ओम बिरला बोलें, हम किस तरीके से अलग-अलग सदन में होने वाली चर्चाओं में अपनी बात को कह सकते हैं, हमारी भाषा, हमारा विचार, हमारा दृष्टिकोण व्यापक देखें, यह होना चाहिए। इसी विधानसभा से दिल्ली के श्रेष्ठ नेता बन सकते हैं। हमें तर्क से अपनी बातों को रखना है। मुद्दों पर चर्चा करें। आने वाले समय में दिल्ली विधानसभा की जितनी डिबेट हैं उसे डिजिटाइजेशन भी किया जाएगा। अंत मे उन्होंने कहा कि सदस्यों की कुशलता, क्षमता इसके लिए प्रबोधन कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण होते हैं। उसके साथ बदलती परिस्थितियों के अंदर आप टेक्नोलॉजी का उपयोग करें, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करें, जितना अधिक हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे उतना ही बेहतर संवाद कर पाएंगे। इससे हमें प्रयास करना चाहिए कि हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करें। लेजिस्लेटिव ड्राफ्ट का अनुभव होना चाहिए। कई बार विधेयक में ड्राफ्टिंग में कमी होती है।
इस ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान संसदीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान फॉर डेमोक्रेसी के विशेषज्ञ विधायकों को संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों के बारे में भी अवगत कराएंगे। इस कार्यक्रम के लिए स्पीकर ओम बिरला पहुंचें तो उनका अभिनंदन दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, प्रतिपक्ष की नेता पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी, विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन बिष्ट, केंद्र सरकार में मंत्री हर्ष मल्होत्रा, सांसद, सरकार के मंत्री मौजूद थे।
सदन में बैठना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी: सदन में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सभी विधायकों को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने हम 70 लोगों पर अपना भरोसा दिखाया और इस विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा है। इस सदन में बैठना सिर्फ एक गरिमा और गर्व की बात नहीं है, बल्कि इस सदन में बैठना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आतिशी ने कहा कि इस सदन में जब पहली बार अंग्रेजों ने भारत के लोगों को वोट का अधिकार दिया था। तब एक वोट का अधिकार की एक शुरुआत हुई थी। तब इस सदन में लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, विट्ठल भाई पटेल इस सदन में बैठे थे। इस सदन में उन्होंने भारत की आजादी की आवाज उठाई थी। 150 साल बीत गए, लेकिन आज जो कुछ इस सदन में याद किया गया, वह इतिहास की किताबों में लिखा गया है और हम सभी उसे याद करते हैं। आतिशी ने कहा कि हम सब इस सदन में जो कुछ कहते हैं, जनता की बात रखते हैं, वह आज ही नहीं, बल्कि सैकड़ो साल तक लोग उसे पढ़ेंगे और देखेंगे। हम सबको इस जिम्मेदारी के साथ इस सदन में बैठना है।