सोनीपत, राजेश आहूजा (वेब वार्ता)। हरियाणा के सोनीपत जिले के मोहल्ला कोट में भारी बारिश ने भारी तबाही मचाई है। लगातार बारिश के कारण टीले की मिट्टी खिसकने से तीन मकान पूरी तरह ढह गए, जबकि कई अन्य मकानों में गहरी दरारें आ गईं। मलबा इतनी जोरदार तरीके से गलियों और घरों में गिरा कि स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। रात के समय हुई इस घटना के बाद लोगों ने डर के मारे अपने घर खाली कर दिए। सौभाग्य से इस हादसे में किसी की जान नहीं गई, लेकिन प्रभावित परिवारों को भारी नुकसान हुआ है।
घटना का विवरण
घटना रात 11 बजे के बाद की बताई जा रही है, जब भारी बारिश के कारण मोहल्ला कोट में टीले की मिट्टी अचानक खिसक गई। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हम घरों में सो रहे थे, तभी जोरदार आवाज के साथ मलबा गिरा। ऐसा लगा जैसे पहाड़ टूट रहा हो। हम तुरंत बाहर भागे, जिससे हमारी जान बच गई।” मलबे के कारण गलियां और घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। प्रभावित मकानों में सुरेश, सुरेंद्र, टिंकू, अनिल, और दीपक के घर पूरी तरह ढह गए, जबकि संदीप, मनोज, अजय मोरवाल, रामफल, मुकेश दुग्गल, धर्मवीर दुग्गल, मुन्ना, नागर, श्याम मेहरा, सत्यनारायण, सुरेश पचेरवाल, धर्मवीर खटक, विकी मेहरा, मनोज मेहरा, कृष्णा नागर, शंकर, बॉबी, कमल, हैप्पी, और बलदेव के मकानों में भी गंभीर क्षति हुई है।
प्रशासन और नेताओं का दौरा
सुबह होते ही स्थानीय पार्षद सुरेंद्र नैय्यर, एडवोकेट नक़ीन मेहरा, सतनारायण मेहरा, जोगिंदर, और भाजपा कार्यकर्ताओं ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने मौके का मुआयना कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। पीड़ितों ने बताया कि बारिश और मलबे ने उनके घरों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है, और अब उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है। उन्होंने सरकार से तत्काल मुआवजे और पुनर्वास की मांग की है।
पार्षद सुरेंद्र नैय्यर ने कहा, “यह एक दुखद घटना है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत और मुआवजा प्रदान किया जाए।” नक़ीन मेहरा ने भी सरकार से अपील की कि मोहल्ला कोट में बारिश से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए स्थायी समाधान किए जाएं, जैसे कि टीले की मिट्टी को मजबूत करना और जल निकासी की उचित व्यवस्था करना।
बारिश और भूस्खलन का प्रभाव
सोनीपत में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने न केवल मोहल्ला कोट, बल्कि शहर के अन्य हिस्सों में भी भारी नुकसान पहुंचाया है। जलभराव और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिससे कई पुराने और जर्जर मकान खतरे में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अनियोजित निर्माण और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। एक स्थानीय पर्यावरणविद् ने बताया, “टीले की मिट्टी को मजबूत करने और जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत है, वरना ऐसी घटनाएं बार-बार होंगी।”
पीड़ितों की मांग और भविष्य की चुनौतियां
प्रभावित परिवारों ने सरकार से तत्काल राहत और मुआवजे की मांग की है। कई परिवारों ने अपना सब कुछ खो दिया है और अब अस्थायी आश्रयों में रहने को मजबूर हैं। सुरेश, एक प्रभावित निवासी, ने कहा, “हमारा घर पूरी तरह नष्ट हो गया है। सरकार को हमें मुआवजा और नया आश्रय देना चाहिए।” स्थानीय लोगों ने यह भी मांग की है कि प्रशासन बारिश के मौसम से पहले क्षेत्र में सुरक्षा उपाय करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं। सोनीपत में बारिश से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है। नगर निगम और जिला प्रशासन को जल निकासी व्यवस्था को बेहतर करने और जर्जर मकानों की मरम्मत के लिए विशेष योजना लागू करने की आवश्यकता है। साथ ही, प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत और पुनर्वास की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।