Saturday, November 22, 2025
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नवसारी के गौ प्रेमियों ने रेडियम बेल्ट से बचाई पशुओं की जान: ‘मवेशी आतंक’ को रोकने का अनोखा अभियान, 500 पशुओं को बांधी बेल्ट, 2000 का लक्ष्य

नवसारी | वेब वार्ता

गुजरात के नवसारी जिले में ‘मवेशी आतंक’ ने कई जिंदगियां लील ली हैं, लेकिन अब गौ प्रेमी युवाओं ने एक अनोखा और सरल समाधान अपनाया है—रेडियम बेल्ट। गणदेवी तालुका के बिलीमोरा क्षेत्र में गौ प्रेमी साईलाल कुमावत और बजरंग दल के 50 से अधिक युवाओं ने आवारा मवेशियों के गले में रेडियम बेल्ट बांधना शुरू किया है। इस अभियान से 500 पशुओं को बेल्ट बांधी जा चुकी है, और लक्ष्य 2000 पशुओं तक पहुंचाने का है। यह पहल न केवल पशुओं की जान बचा रही है, बल्कि सड़क हादसों से मानवीय जानों की रक्षा भी कर रही है।

मौजूदा समय में सड़क दुर्घटनाओं में आवारा मवेशियों की भूमिका चिंताजनक रूप से बढ़ी है। गुजरात में ही पिछले एक साल में 1,500 से अधिक दुर्घटनाएं मवेशियों से जुड़ी हुईं, जिनमें 200 से अधिक मौतें हुईं। गणदेवी तालुका, जो बिलीमोरा और आसपास के इलाकों में फैला है, इस समस्या का सबसे बड़ा शिकार रहा है। मानसून के दौरान फसलें बर्बाद होने से मवेशी सड़कों पर घूमते हैं, और रात में वाहनों की हेडलाइट्स में दिखाई न देने से हादसे हो जाते हैं। इस अभियान ने न केवल स्थानीय लोगों को राहत दी है, बल्कि यह एक मिसाल भी बन गया है कि छोटे-छोटे प्रयास से बड़ी समस्या का समाधान कैसे निकाला जा सकता है।

‘मवेशी आतंक’ की समस्या: मानसून में बर्बाद फसलें, सड़क दुर्घटनाएं

गणदेवी तालुका, नवसारी जिले का एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जहां मानसून के दौरान भारी बारिश से फसलें बर्बाद हो जाती हैं। किसान मवेशियों को ढेर पर बांधना छोड़ देते हैं, जिससे वे सड़कों पर घूमने लगते हैं। रात के समय वाहनों की तेज रोशनी में मवेशी दिखाई नहीं देते, और हादसे हो जाते हैं।

  • आंकड़े: गुजरात में 2024-25 में 1,500+ दुर्घटनाएं, 200+ मौतें।
  • स्थानीय प्रभाव: बिलीमोरा-गणदेवी सड़क पर रोजाना 5-10 हादसे।
  • मानवीय नुकसान: ड्राइवरों की मौतें, पशुओं की पीड़ा।

साईलाल कुमावत ने बताया, “हमने देखा कि रात में हेडलाइट्स में मवेशी दिखाई नहीं देते। रेडियम बेल्ट से वे चमकते हैं, जैसे रिफ्लेक्टिव साइन।”

रेडियम बेल्ट कैसे काम करती है? सरल लेकिन प्रभावी समाधान

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रेडियम बेल्ट (रिफ्लेक्टिव बेल्ट) एक सस्ता, रेडियम-कोटेड स्ट्रैप है, जो मवेशियों के गले में बांधा जाता है। यह रात में वाहनों की रोशनी में चमकता है, जिससे ड्राइवर दूर से ही पशु को देख लेते हैं।

बेल्ट की विशेषताएं:

  • सामग्री: रेडियम-लेमिनेटेड नायलॉन स्ट्रैप, हल्की और मजबूत।
  • कीमत: प्रति बेल्ट ₹50-100, आसानी से उपलब्ध।
  • लागू करने की विधि: गले में ढीली बांधें, ताकि पशु असहज न हो।
  • लाभ: 500 मीटर दूर से दिखाई देती है, हादसे 80% कम हो सकते हैं।

यह बेल्ट ट्रैफिक सेफ्टी के लिए इस्तेमाल होने वाले रिफ्लेक्टिव वेस्ट की तरह काम करती है। साईलाल कुमावत ने कहा, “यह सरल उपाय है लेकिन जान बचाता है। हम 50 युवाओं के साथ 2000 मवेशियों को कवर करेंगे।”

अभियान का प्रभाव: 500 मवेशियों को बेल्ट, हादसे कम हुए

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अभियान की शुरुआत अगस्त 2025 में हुई। अब तक 500 आवारा मवेशियों को बेल्ट बांधी गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि बिलीमोरा-गणदेवी सड़क पर हादसे 50% कम हुए हैं। एक ड्राइवर ने कहा, “अब रात में चमकती बेल्ट दिखाई देती है, पहले अचानक टक्कर होती थी।”

  • सहयोग: बजरंग दल, गौ प्रेमी युवा, स्थानीय किसान।
  • लक्ष्य: 2000 मवेशी, जिले में विस्तार।
  • सामुदायिक प्रभाव: गौ प्रेमी युवाओं ने जान जोखिम में डालकर पशुओं को बांधा।

मवेशी आतंक का इतिहास: गुजरात में बढ़ते हादसे

गुजरात में आवारा मवेशियों से दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। 2024 में 1,500+ मामले, 200+ मौतें। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए लेकिन समस्या बनी हुई है। नवसारी में यह अभियान एक मिसाल बन गया है।

गुजरात में मवेशी दुर्घटनाएं (2024-25)

जिलाहादसेमौतें
नवसारी150+20+
सूरत200+30+
वडोदरा180+25+

भविष्य की योजना: 2000 मवेशियों को कवर, जागरूकता अभियान

साईलाल कुमावत ने कहा, “हम 2000 मवेशियों को बेल्ट बांधेंगे। स्थानीय किसानों को जागरूक करेंगे।” बजरंग दल के सदस्यों ने कहा, “यह मानवीय और पशु जीवन दोनों की रक्षा है।”

यह अभियान आत्मनिर्भर भारत की भावना को दर्शाता है, जहां स्थानीय समाधान से बड़ी समस्या सुलझ रही है।

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