मुंबई, 21 मई (वेब वार्ता) मुंबई में कथित तौर पर एक विमान की चपेट में आने के बाद 30 से अधिक फ्लेमिंगो (राजहंस) की मौत हो गयी है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से इसकी जांच कराने की मांग की है और दावा किया है कि शहरी योजनाकर्ताओं ने ऐसे आपदाओं के बारे में चेतावनियों को नजरअंदाज किया है।
पुलिस ने बताया कि अभी तक घोटकोपर इलाके से 32 फ्लेमिंगो के शव बरामद किए गए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये पक्षी एक विमान की चपेट में आए थे जो सोमवार रात को यहां उतरा था।
‘रेस्किंग एसोसिएशन फॉर वाइल्डलाइफ वेलफेयर’ (आरएडब्ल्यूडब्ल्यू) के संस्थापक और वन विभाग में मानद वन्यजीव वार्डन पवन शर्मा ने बताया कि घाटकोपर में कुछ स्थानों पर मृत पक्षी देखे जाने के बारे में कई लोगों के फोन आ रहे थे। उन्होंने बताया कि वन विभाग के मैंग्रोव प्रकोष्ठ के साथ ही आरएडब्ल्यूडब्ल्यू दलों ने एक तलाश अभियान के दौरान सोमवार रात को इलाके में 29 मृत फ्लेमिंगो बरामद किए।
उन्होंने बताया कि मंगलवार को तीन और शव पाए गए।
शर्मा ने बताया कि कुछ पक्षियों के जमीन पर गिरने के बाद आवारा कुत्तों ने उन्हें नोंच डाला।
उन्होंने बताया कि मृत पक्षियों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और प्रोटोकॉल के अनुसार, उनके शवों का बाद में निपटारा किया जाएगा।
आरएडब्ल्यूडब्ल्यू सचिव और जीव विज्ञानी चिन्मय जोशी ने कहा कि हवाईअड्डा प्राधिकारियों को वन विभाग और वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ मिलकर स्थिति के उचित मूल्यांकन के आधार पर वन्यजीव संघर्ष शमन और प्रबंधन योजना की समीक्षा करने और उसमें सुधार करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
‘नैटकनेक्ट फाउंडेशन’ के निदेशक बी एन कुमार ने एक विज्ञप्ति में कहा कि उन्होंने डीजीसीए को एक ईमेल भेजा है और यह पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है कि कैसे पक्षी अमीराती एयरलाइन के विमान की चपेट में आए और क्या पायलट अपने रडार पर पक्षियों के झुंड को देख नहीं पाया।
‘बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी’ (बीएनएचएस) के अनुसंधानकर्ता मृगंक प्रभु ने कहा कि ऐसा लगता है कि फ्लेमिंगो मुंबई से गुजरात लौट रहे थे और उनकी मौत मानव जाति के लिए आसन्न आपदाओं की चेतावनी है।
नैटकनेक्ट ने बताया कि ठाणे क्रीक फ्लेमिंगो सैंक्चुरी में लगभग एक लाख फ्लेमिंगो उड़ान भरते रहते हैं जो कि एक रामसर स्थल है।