दमोह, (वेब वार्ता)। दमोह में एक अलग तरह का मामला सामने आया है। एक छात्रा को मध्य प्रदेश शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं के परिणाम में हिंदी के पेपर में 16 अंक आए। उसने जांच कराई तो पता चला कि उत्तर पुस्तिका में मूल्यांकनकर्ता ने छात्रा को 64 अंक दिए थे। कंप्यूटर शीट पर डेटा अपलोड करने में गलती हो गई और सिर्फ 16 अंक ही चढ़ाए गए।
मामला जेपीबी स्कूल की छात्रा प्रियंका पिता भागचंद्र जैन से जुड़ा है। उसका दावा था कि हिंदी में उसने बहुत अच्छे से पेपर दिया था। इतने कम अंक तो मिल ही नहीं सकते। उसके परिणाम को देखकर अभिभावक भी हैरान थे। उन्होंने रिजल्ट आने के बाद पूनर्मूल्यांकन का आवेदन दिया तो दोबारा कॉपी खोली गई। 16 की जगह 64 अंक उसे दिए गए थे। यह देख अभिभावक भी हैरान रह गए। एक छोटी-सी लापरवाही ने एक छात्रा के भविष्य से इतनी बड़ी खिलवाड़ जो कर दी थी।
दमोह के नेमीनगर कॉलोनी निवासी प्रियंका ने 12वीं की परीक्षा कला संकाय में दी थी। वह सभी विषयों में पास हो गई, लेकिन हिंदी में केवल 16 अंक मिले। उसे सप्लीमेंट्री आ गई। इससे छात्रा परेशान थी। अभिभावकों से उसने बार-बार कहा कि उसका पेपर अच्छा गया था। अंक कम मिले है। कुछ गड़बड़ी हुई है। इस पर अभिभावकों ने स्कूल से संपर्क किया और पूनर्मूल्यांकन का फॉर्म जमा किया। दो दिन पहले बोर्ड की ओर से ईमेल के माध्यम से हिंदी विषय की उत्तर पुस्तिका छात्रा को भेजी गई। इसमें उसने देखा तो हर प्रश्न के उत्तर के नंबर कॉपी में अंकित थे। अंक सूची में उतने नंबर दर्ज नहीं किए गए।
अभिभावक ले रहे न्यायालय की शरण
छात्रा ने बताया कि उसे कॉलेज में एडमिशन लेना था। सप्लीमेंट्री आने की वजह से वह एडमिशन नहीं ले पाई। उसके पास अपडेटेड अंकसूची नहीं थी। हिंदी में 16 नंबर मिलने की वजह से उसे 67 प्रतिशत अंक मिले है। 64 नंबर जोड़ने पर 77 प्रतिशत अंक हो रहे हैं। यह गंभीर त्रुटि है। अभिभावक अब इस मामले को लेकर न्यायालय जाने का मन बना रहे हैं। कॉपी जांचने के दौरान त्रुटि नहीं हुई है। कम्प्यूटर शीट पर नंबर फीड करने के दौरान यह लापरवाही बरती गई है।