Sunday, May 19, 2024
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आशियाने के लिए ताकते रह गये हकदार, चहेतों को कर दिए आवंटित

-जिसने घोटाला उजागर किया उसका कर दिया ट्रांसफर

ग्वालियर, 29 फरवरी (वेब वार्ता)। मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल प्रक्षेत्र ग्वालियर में मंडल के कर्मचारियों को भवन आवंटन के मामले में धांधली के गंभीर आरोप अब खुलकर वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मीडिया में भी उजागर होने लगे हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारियों को न तो विभाग की गिर रही साख की चिंता है और ना ही वरिष्ठ अधिकारियों का खौफ बचा है।

ताजा मामला कर्मचारी कोटे के आवास आवंटन का है, जिसमें शिकायतकर्ता ने प्रमाणित आरोपों के साथ स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों ने लेन-देन करके आपत्र लोगों को गुपचुप तरीके से आवेदन लगवाए जाने और उन्हें आवास आवंटित किए जाने की शिकायत आयुक्त मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना वि.मंडल के यहां भेज दी है। शिकायतकर्ता के अनुसार जो लोग साल भर और महीनों पहले से भवनों के लिए आवेदन लगाकर स्वयं के मकान की आस लगाए बैठे हैं वो खाली हाथ मलते रह गए। मजे की बात यह है कि इस तरह नियमों के विपरीत किए गए आवंटन को लेकर शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से लेने के बजाय उल्टे उसका स्थानांतरण श्योपुर कर दिया गया। इस संबंध में उपायुक्त एन डी अहिरवार को फोन लगाया मगर फोन नहीं उठा।

The entitled people were left looking for a house मप्र गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल प्रक्षेत्र ग्वालियर में चाहे भवन आवंटन का मामला हो या निविदा प्रकाशन के बाद ऑनलाइन करने का मामला अथवा भवन निर्माण और संधारण के कार्य, हर कहीं विभागीय कार्यशैली सवालों के घेरे में दिखाई देती है। चूंकि मामला जनहित से जुड़े होने के कारण “वेब वार्ता” इस तरह के गंभीर मुद्दो पर शासन और जनता का ध्यान आकर्ष्ट कराना अपनी जिम्मेदारी समझता है।

शिकायत के मुताबिक वृत्त द्वारा जो भवन आवंटन किए गए है उसमें उदाहरण स्वरूप विभाग में पदस्थ राम खिलाड़ी शर्मा को 1050 वर्ग फिट का आवास आवंटित कर दिया गया है, जबकि शासन के नियम कंडिका 8 के तहत वह पात्रता की श्रेणी में ही नहीं आते हैं। इसी तरह संभागीय लेखपाल ने भी पहले से ही अपनी पत्नी के नाम भाड़ा क्रय के आधार पर आवास ले रखा है। जबकि शासन की स्पष्ट गाइडलाइन है कि जिस व्यक्ति या उसके परिवार पर पहले से आवास है वह आवास पाने की श्रेणी में नहीं आता है।

वहीं आम ग्राहकों के लिए दिए जाने वाले भूखंड और भवनों के आवंटन में विभाग में बैठे लोग किस तरह किसी और को आवंटित आवास का मालिक किसी अन्य को बना देते हैं बहुत जल्द इस घालमेल को भी उजागर किया जाएगा।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंडल में वर्षों से जमे कारिंदे ऐसे भवन या भूखंडों पर निगाह जमाए रहते हैं जो किसी हितग्राही को आवंटित हो गए मगर कुछ किस्तों के जमा करने के बाद उसके द्वारा किसी कारण वश विभाग को किस्तों की अदायगी बंद कर दी गई। विभाग के नियमानुसार ऐसे भूखंड और आवासों के आवंटन को निरस्त नहीं किया जा सकता है, इसमें खोज का विषय यह है कि जो आवंटन निरस्त नहीं किया जा सकता है उसे गुपचुप तरीके से किसी अन्य को आवंटित किस तरह किया जा सकता है?

अधिकारियों के इशारे पर विभाग में नियमों को ताक पर रखकर भवन आवंटन किया गया, मकानों की गलत तरीके से रजिस्ट्री कर दी जाती है, मेरे द्वारा लगातार इस बात की शिकायत वरिष्ठ कार्यालय को की जा रही थी, चूंकि मेरे द्वारा विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर किया जा रहा था इसलिए मेरा स्थानांतरण श्योपुर कर दिया गया।

-राजेन्द्र सिंह राणा, अध्यक्ष, मप्र स्थाई कर्मी कल्याण संघ

मेरे संज्ञान में भी मामला आया है, शिकायत में आने वाले बिंदुओं के आधार पर मैं इसकी जांच कराऊंगा।

-चंद्रमोली शुक्ला, आयुक्त, गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल मप्र

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