Saturday, July 27, 2024
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आचार संहिता के पहले समान नागरिकता कानून….?

-ओमप्रकाश मेहता-

अपने तीसरे प्रधानमंत्रित्व काल के लिए अनेक घोषणाएं करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की सरकार ने अपनी जीत को पक्की करने के लिए चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले अर्थात् अगले पखवाड़े से देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की मानसिकता बना ली है। लगभग चार साल से ज्यादा लम्बे समय के इंतजार के बाद केन्द्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून लागू करने का मन बनाया है, इसे अगले पखवाड़े अर्थात् मार्च के पहले हफ्ते में लागू किया जा सकता है, सरकार ने इसे लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है तथा संबंधित नियम-कानून भी तैयार कर लिए गए हैI

अब किसी भी समय इनकी अधिसूचना जारी हो सकती है, कानून लागू होने के बाद भारत के तीन पड़ौसी देशों पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता हासिल होने का रास्ता साफ हो जाएगा।  इस संदर्भ में सरकारी सूत्रों ने यह उजागर किया है कि इस नए प्रावधान के लिए सरकार ने नियम तैयार कर लिए है और संशोधित कानून के तहत नागरिकता के आवेदन के लिए ऑन लाईन पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है, गौरतलब है कि नागरिकता के लिए सारे आवेदन ऑन लाईन ही किए जाएगें, केन्द्रीय गृह मंत्रालय इस दिशा में काफी तत्परता प्रदर्शित कर रहा है, उसने पोर्टल का ‘ट्राॅयल’ भी ले लिया है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले शरणार्थियों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं है, जबकि लम्बी अवधि के लिए वीजा हेतु सबसे अधिक आवेदन पाकिस्तान से ही मिले है। गृहमंत्री इस बारे में एकाधिक बार घोषणाऐ भी कर चुके है, इस प्रकार कुल मिलाकर अब इस मुद्दें को चुनावी राजनीति से पूरी तरह जोड़कर देखा जा रहा है, अब यह एक अलग बात है कि इस मुद्दें से देश में सत्तारूढ़ दल को राजनीतिक लाभ मिलता भी है या नहीं?

यहाँ यह भी गौरतलब है कि संसद ने समान नागरिक संहिता कानून पर ग्यारह दिसम्बर 2019 अर्थात् करीब सवा चार साल पहले मंजूरी की मौहर लगा दी थी, लेकिन इस बारे में नियम बनाने में विलम्ब के कारण अब इतनी लम्बी अवधि के बाद इसे लागू किया जाने वाला है, वह भी इसमें अपने दल के राजनीतिक लाभ के खातिर।

सरकार ने इस बारे में उस समय इतनी जल्दबाजी दिखाई थी कि ग्यारह दिसम्बर 2019 को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के दूसरे ही दिन राष्ट्रपति की भी मंजूरी ले ली गई थी, इसके बाद देश में इसके विरोध का दौर चला, दिल्ली के शाहीनबाग में कई दिनों तक इसके खिलाफ आंदोलन चलता रहा, जबकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि इस कानून के तहत किसी की भी नागरिकता छीनी नही जाएगी। इसके बावजूद अब चार साल से भी अधिक समय बाद इसे लागू किया जा रहा है।

उल्लेखनीय यह भी है कि इस कानून के तहत् पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसम्बर 2014 के पहले भारत आने वाले छः वर्ग के अल्पसंख्यकों को नागरिकता उपलब्ध कराई जा सकेगी। संसदीय प्रक्रिया के मुताबिक किसी भी कानून के दिशा-निर्देश राष्ट्रªपति से स्वीकृति मिलने के छः माह की अवधि में तैयार होने चाहिए अन्यथा सरकार को संसद के दोनों सदनों में अधिनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग करनी चाहिए, इस मामले में 2020 से केन्द्रीय गृह मंत्रालय कानून से जुड़े नियमों को तैयार करने की प्रक्रिया जारी रखने के लिए संसदीय समितियों से नियमित रूप से विस्तार की मांग करता रहा है। चूंकि अब लोकसभा चुनावों के पूर्व इन्हें लागू किये जाने की तैयारी है, इसलिए इसे राजनीतिक विवाद का विषय बना दिया गया है।

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