-सीतापुर-रातामाटी बीट में चल रही सागौन पर कुल्हाड़ी, सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही
भैंसदेही, (मनीष राठौर)। भैंसदेही जंगल को संरक्षित करने की मुहिम केवल कागजों तक सीमित रह गई है। कारण, जंगलों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी जिस विभाग पर है, विभाग के कर्मचारी ईमानदारी से कार्य नहीं कर रहे। हाल ही में भैंसेदही वन परिक्षेत्र के अंतर्गत सीतापुर, गुल्लरढाना और रातामाटी बीट में सागौन की अवैध कटाई के फोटो वायरल हो रहे है। सूत्रों का कहना है कि वन माफिया बेशकिमती सागौन के पेड़ों को काट रहे है। इससे न केवल शासन को राजस्व की क्षति हो रही है, बल्कि विभाग के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगने लगा है।
जानकारी के अनुसार सीतापुर और रातामाटी बीट के जंगलों में वन माफिया पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। विडम्बना यह है कि माफिया खुलेआम जंंगल में पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। सिल्लियां तैयार कर रहे हैं। लेकिन वन अमले की निगाहें इन पर नहीं पड़ रही है। वन माफियाओं ने कई पेड़ों को काटकर गायब भी कर दिया है। सागौन के पेड़ों को काटकर तस्करी भी की जा रही है, लेकिन अभी तक वन अमला न इन माफिया को पकड़ पाया है और न ही कोई कार्रवाई की। जिसके चलते माफिया द्वारा बड़े पैमाने पर जंगलों में पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। जिसके निशान पेडों के ठूंठ को देखकर आसानी से मिलते है।
वन कर्मचारी नियमित नहीं करते रात्रि गश्त
लकड़ी कटाई की सबसे बड़ी वजह मॉनिटरिंग का अभाव है। विभाग में जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी जिन कर्मचारियों को दी गई है, वे जंगलों की नियमित गश्त नहीं करते है। जिसका फायदा माफिया उठा रहे हैं। अधिकारी भी कभी-कभी ही जंगलों का निरीक्षण करते है। जिसके चलते पेड़ों की अवैध कटाई और चोरी नहीं रुक रही है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। जिन वन अधिकारियों के जिम्मे पेड़-पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी है, वह ध्यान नहीं देते है। देखरेख और मॉनीटरिंग के अभाव में जंगल कट रहे है और अधिकारी मौन है।
सागौन के अलावा अन्य पेड़ों पर भी कुल्हाड़ी
जंगलों में न सिर्फ सागौन बल्कि अन्य पेड़ों पर भी कुल्हाड़ी चल रही है। लोग फर्नीचर बनाने और चूल्हा जलाने के लिए हरे-भरे पेड़ों को काट रहे है। उक्त स्थानों पर पेड़ों के ठूंठ से इस बात का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। खासबात यह है कि जिला प्रशासन और वन विभाग द्वारा हर साल हरियाली महोत्सव के तहत पौधरोपण कर पर्यावरण बचाने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर यह अभियान पूरी तरह फेल है। प्रशासन के अधिकांश कार्यक्रम केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाते हैं। जागरूकता जमीन पर नहीं उतर पाती।
मैंने डिप्टी को जांच करने के लिए कहा है। जैसे ही रिपोर्ट आती है, उसके बाद ही कुछ बता पाऊंगा।
-देवानंद पांडे एसडीओ, दक्षिण वन मंडल, भैंसदेही