नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस सरकारी बंगले में रहा करते थे अब उसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रहने से इनकार कर दिया तो उसके बाद इसे स्टेट गेस्ट हाउस बनाने की अटकलें चल रही हैं। दिल्ली में देश के कई राज्यों के गेस्ट हाउस हैं लेकिन दिल्ली का अपना गेस्ट हाउस वर्षों से बनाने की मांग अभी भी पूरी नहीं हो सकी है।
लोक निर्माण विभाग के सूत्रों की माने तो दिल्ली विधानसभा के नजदीक सिविल लाइंस इलाके में बने इस 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले में अब दिल्ली सरकार का गेस्ट हाउस बन सकता है। इस गेस्ट हाउस में सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन हो सकेंगे। दूसरे राज्यों से आने वाले अधिकारियों अथवा जिसे दिल्ली सरकार चाहे वह यहां ठहर सकेंगे।
केजरीवाल के बंगले पर सीएम रेखा गुप्ता ने रहने से किया इनकार
बता दें कि उत्तरी दिल्ली रिज से सटा यह बंगला खूबसूरत सडक़ पर जहां स्थित है वहीं यहां सटे रिज से वातावरण और सुखद महसूस होता है। सिविल लाइन्स इलाका पॉश इलाके के तौर पर धनाढ्य लोगों के आलीशान घरों के लिए पहचाना जाता है। टाइप-6 करीबन दस हजार गज के पांच कमरे वाले इस बंगले में अरविंद केजरीवाल करीबन नौ साल रहे।
कांग्रेस शासनकाल में यहां पुराने बंगले में विधानसभा अध्यक्ष चौधरी प्रेम सिंह 2004 से 2008 तक रहे जबकि उनके छोडऩे के बाद 2013 तक डिप्टी स्पीकर अंबरीश गौतम का आवास रहा। यह बंगला दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार का मुख्य केंद्र रहा और शीश महल के तौर पर प्रचारित किया गया।
केजरीवाल ने दिल्ली के आमजन की संपत्ति का किया गलत उपयोग
सूत्रों के अनुसार दिल्ली सरकार इसे स्टेट गेस्ट हाउस बनाने का प्रस्ताव लेकर आई है। दिल्ली में फिलहाल कोई स्टेट गेस्ट हाउस नहीं है। दरअसल 1996 में मदन लाल खुराना के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद 33, शामनाथ मार्ग को कुछ महीनों के लिए स्टेट गेस्ट हाउस बनाया गया था। उसके बाद से दिल्ली में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
दिल्ली सरकार का प्रस्ताव है कि इस संपत्ति का इस्तेमाल स्टेट गेस्ट के तौर पर हो जहां अधिकारियों के साथ-साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सके। दरअसल काम के सिलसिले में बाहरी राज्यों से जहां अधिकारी दिल्ली आते हैं वहीं विदेशी राजदूत, विभिन्न पदक विजेता, राज्यों के प्रमुख प्रतिनिधि भी आते हैं।
बहुत जल्द शीश महल पर आ सकता है बड़ा फैसला
प्रस्ताव यह भी है कि यहां सरकारी कार्यक्रम, जैसे समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, भी आयोजित किए जा सकते हैं। हालांकि सूत्र मानते हैं कि इस आलीशान बंगले को उसके मूल रूप में वापस लाने का कोई सवाल ही नहीं है। इस पर जनता का पैसा खर्च किया गया है। इस बारे में अंतिम फैसला नई कैबिनेट लेगी। भाजपा ने 33.66 करोड़ रूपए नवीनीकरण खर्च के आरोप लगाए थे और इस मामले पर सीएजी की रिपोर्ट भी तैयार हुई है।