नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन बुधवार को सदन में भारी ड्रामा और हंगामा देखने को मिला। इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक हाथों में तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए सदन के गर्भगृह (वेल) में आ गए, जिसके बाद स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सात आप विधायकों- कुलदीप कुमार, संजीव झा, मुकेश अहलावत, सुरेंद्र कुमार, जरनैल सिंह, आले मोहम्मद और अनिल झा को निलंबित कर दिया।
आप विधायकों ने यह प्रदर्शन कानून और न्याय मंत्री कपिल मिश्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर किया। वे एक दिन पहले दिल्ली की एक अदालत द्वारा साल 2020 के दिल्ली दंगों में मिश्रा की कथित भूमिका को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिए जाने के बाद उनका इस्तीफा मांग रहे थे। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर मंत्री कपिल मिश्रा को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, ‘दंगों के सभी आरोपी जेल में हैं। कपिल मिश्रा सलाखों के पीछे क्यों नहीं हैं? हम उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन भाजपा उन्हें बचा रही है।’
स्पीकर गुप्ता ने विधानसभा सचिव को यह सत्यापित करने का निर्देश भी दिया है कि क्या निलंबन आदेश के बावजूद निलंबित विधायक परिसर में रहे और अपना विरोध जारी रखा। बता दें कि आठवीं विधानसभा के पहले सत्र के दौरान 3 मार्च को स्पीकर गुप्ता ने फैसला सुनाया था कि कोई भी विधायक जिसे निलंबित किया जाता है या जिसे मार्शलों द्वारा बाहर निकाला जाता है, उसे पूरी तरह से विधानसभा परिसर से बाहर निकलना होगा। बुधवार को सदन में यह हंगामा एक दिन पहले अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया द्वारा दिए गए उस फैसले के बाद हुआ, जिसमें मिश्रा के खिलाफ जांच के लिए ‘प्रथम दृष्टया’ मामला पाया गया था। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस को 16 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
यह कानूनी कार्यवाही यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास की शिकायत के बाद शुरू हुई, जिन्होंने 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में मिश्रा की मिलीभगत का आरोप लगाया था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी और उन पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है।