Sunday, November 9, 2025
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वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की रक्षा के लिए मजबूत तैयारी जरूरी: अनुप्रिया पटेल

-प्रशांत क्षेत्र के लिए महामारी की तैयारियों पर क्वाड कार्यशाला शुरू

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा कि हाल के दिनों में उभरते स्वास्थ्य खतरों के कारण वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की रक्षा के लिए मजबूत तैयारी, बढ़ती निगरानी और अच्छी तरह से समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। वैश्विक महामारी से निपटने के लिए स्थापित काेष में 10 मिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री पटेल सोमवार को नई दिल्ली में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महामारी की तैयारी पर क्वाड कार्यशाला का उद्घाटन अवसर पर संबाेधित कर रही थीं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय इस कार्यशाला का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य आपातकालीन ढांचे को मजबूत करना, स्वास्थ्य खतरों के प्रति तैयारी और तन्यकता को बढ़ाना, उभरती महामारियों के प्रति समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना तथा बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण से मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को संबोधित करते हुए वन हेल्थ दृष्टिकोण का कार्यान्वयन करना है।

इस माैके पर केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया ने वैश्विक महामारी से निपटने की तैयारियों और प्रतिक्रिया प्रयासों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्हाेंने कहा कि उभरते स्वास्थ्य खतरों के कारण वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा की रक्षा के लिए मजबूत तैयारी, निगरानी और अच्छी तरह से समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। पटेल ने कहा कि भारत ने महामारी कोष की स्थापना के लिए 10 मिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया है, जिसे विशेष रूप से महामारियों से लड़ने के लिए संकल्पित किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत ने इसके निरंतर कामकाज का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त 12 मिलियन अमरीकी डॉलर देने का संकल्प लिया है।

पटेल ने कहा कि भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य पहलों का नेतृत्व किया है, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और परिणामों को बेहतर बनाने और टिकाऊ, डेटा-संचालित प्रणाली बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है। यह प्रयास वर्तमान और भविष्य की स्वास्थ्य और जलवायु चुनौतियों से निपटने में सक्षम स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एक लचीली और महामारी-तैयार स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने और उसे स्थिर करने की दृष्टि से, भारत ने एक व्यापक स्वास्थ्य आपातकालीन समन्वय ढांचा स्थापित किया है, जो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर कई प्रमुख पहलों जैसे कि एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), जूनोसिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य कार्यक्रम और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण और रोकथाम (एनवीबीडीसीपी) की स्थापना के माध्यम से रणनीतिक रूप से तैयारी, प्रतिक्रिया और लचीलापन-निर्माण पर केंद्रित है।

केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) जैसी पहलों और कोविन प्लेटफॉर्म, ई-संजीवनी, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, मानसिक स्वास्थ्य रोगों के प्रबंधन के लिए टेली-मानस और टीबी रोगियों की निगरानी और प्रबंधन के लिए नि-क्षय पोर्टल जैसे उपकरणों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी मजबूत डिजिटल रोग निगरानी प्रणाली अन्य देशों के लिए एक मूल्यवान मॉडल पेश करती है जो अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य पहलों में एकता और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला समान विचारधारा वाले साझेदार देशों के साथ मिलकर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

उल्लेखनीय है कि भारत, क्वाड की अपनी अध्यक्षता के तहत, 17-19 मार्च तक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए महामारी की तैयारी पर क्वाड कार्यशाला की मेजबानी कर रहा है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के 15 देशों जैसे कंबोडिया, फिजी, इंडोनेशिया, केन्या, किरिबाती, मेडागास्कर, मालदीव, मोजाम्बिक, पलाऊ, फिलीपींस, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, टोंगा, तुवालु और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के 25 से अधिक प्रतिनिधि भी कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।

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