चित्तौड़गढ़, (वेब वार्ता)। वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अफीम की बुवाई से संबंधित नई नीति जारी कर दी है। इसमें कई अहम प्रावधान किए गए हैं, जिनके तहत किसानों के अफीम लाइसेंस मिलने और कटने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाएगा। विशेष रूप से सीपीएस पद्धति (बिना चीरे) की खेती में प्रति दस आरी 80 किलो से कम डोडा देने वाले किसानों के लाइसेंस एक वर्ष के लिए निलंबित किए जाएंगे। वहीं, पिछले वर्ष बेहतर उत्पादन देने वाले किसानों को चिराई पट्टों में प्राथमिकता दी जाएगी।
क्यों लागू किए गए ये प्रावधान?
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, अफीम की खेती को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के साथ-साथ उत्पादन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना नीति का उद्देश्य है। पिछले वर्षों में कई किसानों के औसत उत्पादन कम रहने से नारकोटिक्स विभाग के गोदाम डोडे से भर गए हैं। साथ ही मार्फीन, कोडीन जैसे प्रोसेसिंग उत्पादों की मांग के अनुरूप कारखानों की कमी है, जिससे डोडे के भंडारण में समस्या बढ़ी है। ऐसे में सीपीएस पद्धति के पट्टे घटाने और उत्पादन आधारित लाइसेंस निलंबन का निर्णय लिया गया है।
किसानों को मिलेंगे ये दो लाभ
उत्कृष्ट उत्पादन पर चिराई पट्टा – जिन किसानों ने पिछले वर्ष सीपीएस पद्धति में प्रति दस आरी पर 90 किलो या उससे अधिक बिना चिराई का डोडा जमा किया, उन्हें इस वर्ष चिराई पट्टा मिलेगा, बशर्ते वे अन्य निर्धारित शर्तों को पूरा करें।
कम उत्पादन वाले किसानों को राहत – जिन किसानों के सीपीएस पट्टे पिछले वर्ष 67 किलो से कम बिना चिराई डोडा जमा कराने पर काट दिए गए थे, उन्हें इस वर्ष बहाल किया जाएगा, जिससे वे फिर से खेती कर सकें।
फिर भी किसानों में असंतोष
हालाँकि दो लाभ दिए गए हैं, लेकिन अधिकांश किसान इस नीति से असंतुष्ट हैं। किसानों की मुख्य मांग थी कि मार्फीन औसत कम करने की नीति लागू की जाए, जिससे उन्हें उत्पादन आधारित दंड से राहत मिल सके। इसे मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। इसके अलावा किसानों का कहना है कि एक साल के कम औसत के आधार पर लाइसेंस काटना अनुचित है। वे चाहते हैं कि पिछले तीन वर्षों की औसत को देख कर लाइसेंस दिया जाए ताकि परंपरागत किसानों को नुकसान न हो।
प्रोसेसिंग इकाइयों की कमी से बढ़ा संकट
सूत्रों के अनुसार देश में अफीम डोडे से मार्फीन और कोडीन जैसे उत्पादों की प्रोसेसिंग हेतु पर्याप्त कारखाने नहीं हैं। इसलिए सीपीएस पद्धति में सीधे किसानों से डोडा लिया जाता है, जबकि गोदाम पहले से भरे पड़े हैं। यदि आने वाले वर्षों में प्रोसेसिंग यूनिट्स लगती हैं तो सीपीएस पद्धति के पट्टों में बढ़ोतरी संभव है।
किसानों की अपील
किसानों ने वित्त मंत्रालय से आग्रह किया है कि औसत उत्पादन का मूल्यांकन तीन वर्षों के आधार पर किया जाए। इससे वे अनावश्यक दंड से बच सकेंगे और परंपरागत खेती में लगे रहेंगे। साथ ही, किसानों ने यह भी कहा कि नीति में संशोधन कर उन्हें राहत दी जाए ताकि उनकी आजीविका सुरक्षित रह सके।