Wednesday, April 16, 2025
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‘गरीब मुसलमानों की तकदीर बदलेगा नया वक्फ़ कानून’

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। सरकार ने लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बीच मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन करने वाले वक्फ़ संशोधन विधेयक 2025 को पेश किया और कहा कि यह विधेयक किसी भी मस्जिद, दरगाह या अन्य किसी धार्मिक स्थान काे हड़पने के लिए नहीं है बल्कि शुद्ध रूप से दान की गई संपत्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए है ताकि मुस्लिम समाज के गरीबों एवं महिलाओं की तकदीर बदली जा सके।

सदन में प्रश्नकाल के बाद आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाने के उपरान्त अध्यक्ष ओम बिरला ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू का नाम वक्फ़ संशोधन विधेयक 2025 तथा मुसलमान वक्फ निरसन विधेयक 2024 को सदन के विचार एवं पारित करने के लिए रखने को पुकारा। सदन में उपनेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित थे। विपक्ष की ओर से आरएसपी के नेता एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक के मसौदे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी भी संयुक्त संसदीय समिति को विधेयक के पाठ को बदलने का हक नहीं है। अलबत्ता सरकार और मंत्री यह काम कर सकते हैं। इस पर गृह मंत्री श्री शाह ने स्पष्ट किया कि संयुक्त संसदीय समिति ने जिस मसौदे को स्वीकृति दी है, उसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति दिलाने के बाद ही संसद में लाया गया है। इसलिए किसी नियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। श्री शाह ने कहा कि जेपीसी ने विधेयक में कई संशोधन किये हैं। कांग्रेस के जमाने में कमेटियां ठप्पा होतीं थीं। हमारे समय में कमेटियां विचार करके जरूरी परिवर्तन करतीं हैं। इसके बाद अध्यक्ष श्री बिरला ने विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करके विधेयक को पेश करने की अनुमति प्रदान की।

श्री रिजीजू ने विधेयक को सदन के समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति ने पूरे देश में तमाम वर्ग के लोगों के साथ व्यापक चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट दी थी और उसके आधार पर यह विधेयक पारित कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेपीसी ने इस विधेयक के बारे में अभूतपूर्व परिश्रम किया है। करीब 97 लाख, 27 हजार 772 सुझावों, अपीलों, ज्ञापनों एवं सिफारिशों का निस्तारण किया है। सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों, अलग अलग संगठनों, धार्मिक समुदायों, शोधकर्ताओं आदि ने अपने विचार साझा किये हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि जो लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, इसके तथ्यों के बारे में जानकर उनका दिल बदलेगा और वे सब समर्थन करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक शुद्ध रूप से संपत्ति के प्रबंध का मामला है और इससे किसी धर्म के कार्यकलाप में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। उन्होंने कहा, “ सरकार किसी धार्मिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर रही है…यह कोई मंदिर, मस्जिद का विषय नहीं है। यह शुद्ध रूप से संपत्ति के प्रबंधन से जुड़ा मामला है।” उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंध मुतव्वली करता है और यह विधेयक उसी प्रबंध से संबंधित है।

संसदीय कार्य मंत्री ने इस संबंध में केरल और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय के तीन निर्णयों का उल्लेख करते हुये कहा कि तीनों ही निर्णयों में न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि मुस्लिम वक्फ या हिन्दू मंदिरों की संपत्तियों के प्रबंध का काम स्वाभाविक रूप से सेक्युलर (गैरधार्मिक प्रकृति का काम) है।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में ‘आप यह तर्क बंद करें, कि मुसलमानों (की संपत्ति) के मामले में गैर-मुस्लिम को क्यों जोड़ा जा रहा है।’

मंत्री ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर वोट बैंक की निरर्थक राजनीति करने का आरोप लगाते हुये कहा कि 2014 के चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने शहरी विकास मंत्रालय की दिल्ली में 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया था।

श्री रिजिजू ने कहा, “आपको तो इसका फायदा हुआ नहीं, आप चुनाव हार गए। फिर ऐसा काम क्यों करते हैं।” उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस विधेयक पर चर्चा करनी चाहिए और इसको लेकर कोई भ्रम पैदा नहीें करना चाहिए। यह विधेयक किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि मुसलमानों के हित में है और तमाम मुसलमान चाहते हैं कि वक्फ की संपत्तियों का कायदे से प्रबंध हो।

मंत्री ने कहा कि इसमें वक्फ़ प्रबंधन समिति में 22 लोगों में से 10 मुस्लिम समाज के लोग, दो पूर्व न्यायाधीश, एडवोकेट, मुस्लिम महिलाएं, दो गैर मुस्लिम सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि वक्फ़ संशोधन विधेयक में देश के कानूनों को जगह देकर ट्रिब्यूनल में लंबित हज़ारों केसों को निस्तारित करने का रास्ता खोजा है।

उन्होंने कहा कि यह कहा जा रहा है कि सेना एवं रेलवे के बाद वक्फ़ के पास सबसे ज़्यादा ज़मीन है। तो यह समझना चाहिए कि रेलवे की जमीन पर पटरी बिछी है और उस पर देश की जनता चलती है। इसलिए रेलवे की ज़मीन देश की ज़मीन है। इसी तरह से सेना की जमीन भी देश की जमीन है। लेकिन वक्फ़ की संपत्ति निजी संपत्ति है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज़्यादा वक्फ़ संपत्ति भारत में है लेकिन हमारा गरीब मुसलमान परेशान क्यों है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के गरीब मुसलमानों के अधिकारों के लिए किये जा रहे काम का विरोध क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चंद वोटों के लिए देश की इतनी वक्फ़ संपत्ति यूं ही नहीं पड़ी रह सकती है। इसे गरीब मुसलमानों के उपयोग में लाना ही पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2004 में जिस वक्फ़ संपत्ति से 163 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी, उससे अधिक संपत्ति होने के बावजूद वर्ष 2013 में आमदनी 166 करोड़ रुपए हुई। जबकि सच्चर कमेटी ने कहा कि इससे 12 हजार करोड़ रुपए की आमदनी हो सकती थी। मतलब साफ है कि यदि वक्फ़ संपत्ति का ढंग से उपयोग होता तो मुसलमानों की तकदीर बदल जाती।

श्री रिजीजू ने कहा कि आज देश में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) लागू हो चुका है। किसी भी मुसलमान की नागरिकता नहीं गयी है। लेकिन जब कानून लाया गया तो कितना दुष्प्रचार किया कि इससे मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी। आज फिर से भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है और ऐसे लोगों को फिर से मुंह की खानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि पहले लोग संपत्ति को अपनी मर्जी से वक्फ़ कर देते थे और महिलाओं एवं बच्चों के हितों का ख्याल नहीं रखते थे। इस प्रकार से पुराने कानून में महिलाओं के अधिकारों का दमन किया जाता था। नये विधेयक में प्रावधान किया गया है कि पहले महिला का हक सुरक्षित किया जाएगा और उसके बाद ही संपत्ति वक्फ़ की जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि सरकारी ज़मीन पर वक्फ़ के दावे पर कलेक्टर से ऊपर स्तर के अधिकारी द्वारा जांच कराने की मांग मान ली गयी है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि आदिवासियों की ज़मीन वक्फ़ नहीं की जा सकेगी। ट्रिब्यूनल में दो सदस्यों की जगह तीन सदस्य की बात भी मान ली गयी है। इसका कार्यकाल भी निश्चित किया गया है और यदि ट्रिब्यूनल के फैसले से कोई संतुष्ट नहीं है तो अदालत में जाया जा सकता है। इसके साथ ही इस कानून के दुरुपयोग की संभावनाओं को समाप्त किया है। तमिलनाडु के सुरन्दरेश्वर मंदिर हो या कर्नाटक की ज़मीन, हरियाणा में यमुनानगर में सिख गुरुद्वारे की ज़मीन का मामला हो या केरल में 600 ईसाइयों की ज़मीन का मामला, अब इस कानून का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा।

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