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भारत-जापान का साथ निवेश, स्टार्टअप साझेदारी और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा: पीएम मोदी

टोक्यो/नई दिल्ली, (वेब वार्ता): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के गवर्नरों के साथ एक विशेष संवाद में भारत-जापान के ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात उनके लिए खुशी का अवसर है, क्योंकि जापान के गवर्नर उनके प्रांतों की विविधता और ऊर्जा के प्रतीक हैं। इस संवाद में निवेश, स्टार्टअप साझेदारी, और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्तों पर विशेष ध्यान दिया गया।

जापान के प्रांतों की विविधता और भारत का साथ

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जापान के प्रांतों की ताकत और सांस्कृतिक समृद्धि की तारीफ की। उन्होंने कहा,

“मैं इस कमरे में सैतामा की रफ्तार, मियागी की मजबूती, फुकुओका की जीवंतता और नारा की विरासत की खुशबू अनुभव कर रहा हूं। आप सभी में कुमामोतो की गर्मजोशी, नागानो की ताजगी, शिज़ुओका की सुंदरता, और नागासाकी की धड़कन है। आप माउंट फूजी की ताकत और साकुरा की आत्मा के प्रतीक हैं, जो जापान को टाइमलेस बनाते हैं।”

उन्होंने भारत और जापान के हजारों साल पुराने रिश्ते को भगवान बुद्ध की करुणा और राधाबिनोद पाल जैसे नायकों के साहस से जोड़ा। पीएम मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि बीती सदी में गुजराती हीरे के व्यापारी कोबे आए थे, और हमा-मात्सु की कंपनियों ने भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में क्रांति लाई। यह उद्यमशीलता दोनों देशों को जोड़ती है।

व्यापार, तकनीक और संस्कृति में नया अध्याय

प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रेड, टेक्नोलॉजी, पर्यटन, सुरक्षा, स्किल, और संस्कृति के क्षेत्र में भारत-जापान के बीच नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। यह सहयोग केवल टोक्यो या दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि राज्यों और प्रांतों की सोच में भी जीवंत है। उन्होंने अपने 15 साल के गुजरात मुख्यमंत्री कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने नीति-आधारित शासन, उद्योग को बढ़ावा, और निवेश के लिए माहौल बनाने पर ध्यान दिया, जिसे आज गुजरात मॉडल के नाम से जाना जाता है।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सोच को राष्ट्रीय नीति में शामिल किया। राज्यों में प्रतिस्पर्धा की भावना जगाई और उन्हें राष्ट्रीय विकास का मंच बनाया। भारत के हर राज्य की अपनी पहचान है—कहीं समुद्र तट, कहीं पहाड़। इस विविधता को लाभ में बदलने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, आकांक्षी जिले-ब्लॉक कार्यक्रम, और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किए गए, जो अब विकास के केंद्र बन रहे हैं।

स्टेट-प्रांत साझेदारी पहल

प्रधानमंत्री ने जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ मिलकर ‘स्टेट-प्रांत साझेदारी पहल’ लॉन्च की। इसके तहत हर साल तीन भारतीय राज्य और तीन जापानी प्रांतों के प्रतिनिधिमंडल एक-दूसरे का दौरा करेंगे। उन्होंने जापान के गवर्नरों को भारत आने का निमंत्रण दिया और साझा प्रगति के लिए सहयोग की अपील की।

पहले से चली आ रही साझेदारियां जैसे गुजरात-शिजुओका, उत्तर प्रदेश-यमानाशी, महाराष्ट्र-वकायामा, और आंध्र प्रदेश-तोयामा को कागज से निकालकर लोगों और समृद्धि तक ले जाने की बात कही। पीएम ने कहा कि जापान के प्रांत टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग, और नवाचार के केंद्र हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था कई देशों से बड़ी है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भविष्य उनके हाथों में है।

स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए नए अवसर

प्रधानमंत्री ने भारत और जापान के छोटे शहरों के स्टार्टअप्स और एमएसएमई को मिलकर काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ये विचारों के आदान-प्रदान, नवाचार, और अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस दिशा में कानसाई बिजनेस एक्सचेंज फोरम शुरू किया गया है, जो निवेश, स्टार्टअप साझेदारी, और कुशल पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा।

युवाओं और कुशल पेशेवरों का आदान-प्रदान

पीएम मोदी ने युवाओं के कनेक्शन पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि जापान की विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज में भारतीय छात्रों को लाने और अगले पांच साल में पांच लाख लोगों के आदान-प्रदान के लिए एक एक्शन प्लान लॉन्च किया गया है। साथ ही, 50,000 भारतीय कुशल पेशेवरों को जापान भेजने की योजना है, जिसमें जापानी प्रांतों की अहम भूमिका होगी।

उन्होंने आशा जताई कि टोक्यो और दिल्ली नेतृत्व करेंगे, और कानागावा-कर्नाटक, आइची-असम, और ओकायामा-ओडिशा मिलकर नई इंडस्ट्री, स्किल, और अवसर बनाएंगे।

भारत-जापान: एक उज्ज्वल भविष्य

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत-जापान संबंधों को वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का आधार बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का यह सहयोग न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर दोनों देशों की स्थिति को और मजबूत करेगा।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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