नयी दिल्ली, 13 मई (वेब वार्ता) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी भाषण देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ निर्वाचन आयोग को कार्रवाई करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया था। याचिका में इन कथित भाषणों को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया गया था।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग कानून के अनुसार याचिकाकर्ता की शिकायत पर स्वतंत्र रूप से विचार कर सकता है।
अदालत ने प्रधानमंत्री के धर्म और देवी-देवताओं के नाम पर कथित रूप से वोट मांगने वाले एक भाषण से संबंधित याचिका पर दिए गए अपने पहले के आदेश का भी हवाला दिया और कहा कि कोई भी धारणा बनाना अनुचित है। निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा कि आयोग पहले ही सभी राजनीतिक दलों को एक विस्तृत परामर्श जारी कर चुका है।
आयोग के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निर्वाचन आयोग के पास अलग-अलग राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए अलग-अलग मानक नहीं हो सकते।
याचिका में आरोप लगाया गया कि निर्वाचन आयोग से की गई शिकायतों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेताओं पर उनके कथित नफरत भरे भाषणों के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।