नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 2,435 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में महत्वपूर्ण बातें छिपाने पर सीबीआइ को फटकार लगाई है। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने यह फटकार मुंबई स्थित भारतीय स्टेट बैंक की औद्योगिक वित्त शाखा के साथ 2,435 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में लगाई है।
कोर्ट से अपराध फाइलें छिपा रही सीबीआई
कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी के पास कोर्ट से छिपाने के लिए कुछ सामग्री है, जिस पर वे गोपनीयता का पर्दा डालना चाहते हैं, ताकि अपराध कभी सामने न आए और फाइलों में ही दब कर रह जाए। कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सीबीआई अपराध की फाइलें पेश करने में विफल रही।
कोर्ट ने दिया यह आदेश
कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन न करना सीबीआई की ओर से स्पष्ट अवज्ञा और हठधर्मिता का कार्य है, जो एक तरह से दर्शाता है कि उन्हें कोर्ट के आदेश की परवाह या पालन नहीं है, जो गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने संबंधित सीबीआई शाखा के प्रमुख को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जांच अधिकारी बिना किसी चूक के 21 फरवरी को फाइलों के साथ उपस्थित हों।
सीबीआई ने जांच सही तरीके नहीं की
कोर्ट ने कहा कि मुख्य और पूरक आरोपपत्रों पर पहली नजर डालने से पता चलता है कि जांच सही तरीके से नहीं बल्कि लापरवाही से की गई। जबकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत बड़ा मामला है, जिससे देश के ईमानदार करदाताओं और सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।
कुछ महत्वपूर्ण बात छिपा रही थी जांच एजेंसी
अपराध फाइलों को पेश न करने से प्रथम दृष्टया यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जांच एजेंसी कुछ महत्वपूर्ण बात छिपा रही थी जिसे वे शायद सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे, जो अपने आप में असामान्य और असाधारण परिस्थितियों को दर्शाता है।
भारी मात्रा में बैंक ऋण दिए
अपने आरोपपत्र में, सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपी संस्थाओं द्वारा संबंधित पक्षों को भारी मात्रा में बैंक ऋण दिए गए थे, जिसके लिए बहीखाते में समायोजन प्रविष्टियाँ की गई थीं। एजेंसी ने कहा कि आरोपियों ने बहीखाते की प्रविष्टियों और वाउचरों के जालसाजी और जालसाजी के माध्यम से पैसे उधार लिए।