Sunday, December 22, 2024
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‘रूसी और यूक्रेनी नागरिक दो सप्ताह में छोड़ें देश’, श्रीलंका ने दोनों देशों के पर्यटकों के लिए दिया फरमान

कोलंबो, 26 फरवरी (वेब वार्ता)। रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी हुई है। इस जंग को दो साल हो गए। इस दौरान कई उतार चढ़ाव आए। कभी रूस भारी पड़ा तो कभी यूक्रेन। यूक्रेन ने हाल के समय में रूस पर पलटवार कर किया है। पश्चिमी देशों का साथ मिलने के बाद वह भी ड्रोन और मिसाइलों से अटैक कर रहा है। इसी बीच ये भी खबर है कि दूसरे देशों के युवक भी रूस और यूक्रेन दोनों देशों की सेना में भर्ती हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यूक्रेन और रूस से बड़ी संख्या में लोग स्थाई या अस्थाई रूप से जैसे भी मौका मिले, बाहर निकल रहे हैं। इसी बीच श्रीलंका से खबर आई है कि श्रीलंका ने यूक्रेन और रूस के नागरिकों को दो सप्ताह में अपना देश छोड़ने को कहा है। जानिए इसके पीछे क्या कारण है।

रूस और यूक्रेन में जंग के बीच श्रीलंका ने एक बड़ा कदम लिया है। इस कदम के ​तहत श्रीलंका ने रूस और यूक्रेन के हजारों पर्यटकों को दो सप्ताह में अपने देश से बाहर जाने को कहा है। रूस और यूक्रेन के बीच 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद लगभग 3 लाख रूसी और 20 हजार यूक्रेनी श्रीलंका पहुंचे हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के कारण रूसी और यूक्रेनी पर्यटकों को विस्तारित वीजा के तहत रहने की अनुमति दी गई थी।

पिछले एक साल में काफी बदल गए श्रीलंका के हालात

श्रीलंका जहां पिछले एक साल से काफी हालात बदले हैं, वो पर्यटकों को रिझाने की कोशिश कर रहा है, ताकि टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सके। इसी बीच रूस और यूक्रेन के पर्यटक भी यहां बड़ी संख्या में हाल के समय में आए हैं। लेकिन इन्हें दो सप्ताह में ही देश से बाहर जाने को लेकर श्रीलंका सरकार ने फरमान जारी कर दिया है।

जानिए क्यों देश से बाहर जाने का फरमान किया जारी

वर्तमान में विस्तारित वीजा पर द्वीप देश में रहने वाले पर्यटकों की संख्या उपलब्ध नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि आव्रजन नियंत्रक ने पर्यटन मंत्रालय को एक नोटिस जारी कर कहा है कि रूसी और यूक्रेनी पर्यटकों को 23 फरवरी से दो सप्ताह के भीतर देश छोड़ना होगा। उनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई है।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने दिए जांच के आदेश

उधर राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय ने एक नोटिस जारी कर जांच का आदेश दिया है। आदेश में इस बात की जांच करने को कहा गया है कि पिछले विस्तार को निरस्त करने संबंधी मंत्रिमंडल के फैसले के बिना उन्हें देश छोड़ने को कहने का निर्णय कैसे लिया गया।

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