Sunday, October 19, 2025
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भारत और शेख हसीना को अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे बांग्लादेश के लोग, BNP नेता ऐसा क्यों कहा?

ढाका, (वेब वार्ता)। बांग्लादेश में जिस तरह के हालात बने उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा साथ ही मुल्क भी। शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं जिसे लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही हैं। इसी क्रम में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में रहने का पूर्व प्रधानमंत्री का फैसला पूरी तरह से उनका और भारतीय अधिकारियों का है, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि बांग्लादेश के लोग इसे अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे।

‘खुद हसीना और भारत सरकार का निर्णय’

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रवक्ता अमीर खसरू महमूद चौधरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अभी, वह (हसीना) बांग्लादेश में हत्याओं और लोगों को जबरन गायब करने से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे कई अपराधों में सबसे वांछित हैं।’’ चौधरी ने कहा कि यह ‘‘खुद हसीना और भारत सरकार का निर्णय है कि उन्हें पड़ोसी देश में रहना चाहिए या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि बीएनपी को इस मुद्दे पर कोई अधिकार नहीं है।

बांग्लादेश के लोग क्या सोचते हैं?

बीएनपी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली स्थायी समिति के सदस्य अमीर खसरू महमूद चौधरी ने कहा, ‘‘फिर भी, बांग्लादेश के लोग सोचते हैं कि भारतीय अधिकारियों को उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘लोग (बांग्लादेश में) इसे (हसीना के भारत में रहने) को अच्छे नजरिए से नहीं देखेंगे।’’

‘बांग्लादेश में स्वभाविक है प्रतिकूल प्रतिक्रिया’

इस बीच यहां यह भी बता दें कि, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध अवामी लीग पर निर्भर नहीं हैं और भारत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देने पर ”बांग्लादेश में प्रतिकूल प्रतिक्रिया होना स्वभाविक है।” बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री खांडकर मुशर्रफ हुसैन ने बांग्लादेश के लिए भारत को ‘बहुत महत्वपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि ‘यह द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का सही समय है।’ हुसैन ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार अब अवामी लीग और शेख हसीना को समर्थन देना जारी नहीं रखेगी, जिन्हें बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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