Monday, October 20, 2025
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लंदन की सड़कों पर थूका जा रहा पान और तंबाकू, गुजराती-पंजाबी समुदाय पर उठे सवाल

लंदन, (वेब वार्ता)। ब्रिटेन की राजधानी लंदन इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर चर्चा में है, जिसमें शहर की सड़कों पर जगह-जगह पान और तंबाकू की पीक के गहरे लाल दाग दिखाई दे रहे हैं। ये दाग खास तौर पर रेनर्स लेन और नॉर्थ हैरो जैसे क्षेत्रों में देखे जा रहे हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग, खासकर गुजराती और पंजाबी समुदाय के निवासी रहते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इन इलाकों में पान की दुकानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उनके आसपास की सड़कों और फुटपाथों पर थूकी गई पीक ने साफ-सफाई की स्थिति को बदतर बना दिया है।


⚖️ कोर्ट में याचिका, बढ़ती चिंता

नॉर्थ हैरो में एक नई पान की दुकान खुलने के बाद स्थानीय निवासियों ने इसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह दुकान न सिर्फ इलाके की स्वच्छता के लिए खतरा है बल्कि सामाजिक रूप से भी अस्वस्थ वातावरण को जन्म देती है। याचिका में मांग की गई है कि इस तरह की दुकानों पर सख्त निगरानी रखी जाए और यदि नियमों का उल्लंघन हो तो लाइसेंस रद्द किया जाए।


💬 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: आत्मचिंतन बनाम अपमान

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखी गई हैं। कुछ यूजर्स ने खुलकर भारतीय समुदाय की आलोचना की है। एक यूजर ने लिखा,
“भारत की छवि खराब करने के लिए दूसरों की जरूरत नहीं, हमारे लोग खुद ही दुनिया में भारत की गरिमा कम कर रहे हैं।”

एक अन्य यूजर ने गुजराती और पंजाबी समुदाय को विशेष रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा,
“यूके में यही लोग सबसे ज़्यादा गंदगी फैलाते हैं।”

कुछ टिप्पणियों में नस्लीय तंज भी देखने को मिले, जैसे—
“ब्रिटिश ने भारत पर कब्जा किया था, अब भारतीय ब्रिटेन पर कब्जा कर रहे हैं।”


📜 पहले भी उठ चुके हैं कदम

यह समस्या पहली बार सामने नहीं आई है।

  • 2019 में लेस्टर सिटी पुलिस ने अंग्रेजी और गुजराती भाषा में बोर्ड लगवाए थे, जिनमें लिखा था:
    “पान थूकना गंदा और असामाजिक है। इसके लिए 150 पाउंड का जुर्माना लगाया जा सकता है।”

  • 2014 में ब्रेंट काउंसिल को पान के दाग साफ करने में 20,000 पाउंड (लगभग 21 लाख रुपये) खर्च करने पड़े थे।

  • 2009 में वेम्बली के हाई रोड पर भी यही समस्या इतनी गंभीर हो गई थी कि स्थानीय लोगों ने काउंसिल से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।


🚮 संस्कृति या लापरवाही? एक बहस

प्रवासी भारतीयों द्वारा अपने खानपान और आदतों को विदेशों में भी अपनाना कोई नई बात नहीं है। पर सवाल यह है कि क्या ये आदतें सार्वजनिक स्थानों की मर्यादा और सफाई व्यवस्था को तो नहीं बिगाड़ रही हैं?

पान, तंबाकू, और गुटखा जैसी चीजें भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य हो सकती हैं, पर यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर थूकना कानूनन जुर्म है। इस संदर्भ में भारतीय समुदाय के कुछ लोगों का रवैया लापरवाह माना जा सकता है।


🔍 क्या है समाधान?

इस तरह की घटनाएं प्रवासी भारतीयों की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ संभावित कदम:

  1. स्थानीय निकायों द्वारा निगरानी और जुर्माना बढ़ाना।

  2. पान और तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानों के लाइसेंस की कड़ी जांच।

  3. भारतीय समुदायों में जागरूकता अभियान चलाना।

  4. भारतीय दूतावास द्वारा नैतिक जिम्मेदारी निभाना।


निष्कर्ष:

लंदन की सड़कों पर पान और तंबाकू की पीक ने स्वच्छता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अदालतों में याचिकाएं, सोशल मीडिया पर आलोचना और पहले के सरकारी प्रयासों के बावजूद, यदि समुदाय स्तर पर आत्मानुशासन और सामाजिक चेतना नहीं आई तो यह समस्या केवल यूके ही नहीं, विश्व में भारतीयों की साख पर असर डाल सकती है।

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