Friday, November 14, 2025
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अजीत का बेटा, कॉमिक टाइमिंग का मास्टर: शहजाद खान ने भल्ला-टाइगर बनकर फिल्मों से TV तक छाप छोड़ी

मुंबई | वेब वार्ता

बॉलीवुड के दिग्गज विलेन अजीत खान का बेटा होने के बावजूद शहजाद खान ने कभी पिता की छांव में नहीं छिपा। 25 अक्टूबर 1966 को मुंबई में जन्मे शहजाद ने अपनी कॉमिक टाइमिंग, बहुमुखी अभिनय और सहज ऊर्जा से फिल्मों और टेलीविजन में अलग पहचान बनाई। चाहे ‘अंदाज अपना अपना’ में भल्ला का हंसोड़ किरदार हो, ‘शाका लाका बूम बूम’ में बच्चों का पसंदीदा टाइगर, या फिर पुलिस इंस्पेक्टर का रोल—शहजाद हर भूमिका में जीवंत थे। छोटे रोल में भी उन्होंने इतनी छाप छोड़ी कि दर्शक उन्हें पहचानते ही मुस्कुरा उठते थे।

शहजाद ने 1988 में ‘कयामत से कयामत तक’ से डेब्यू किया, लेकिन असली पहचान ‘अंदाज अपना अपना’ (1994) से मिली। उनके पिता अजीत ने विलेन के रूप में इतिहास रचा, तो शहजाद ने कॉमेडी और साइड रोल्स में नया इतिहास लिखा। आइए, इस बहुमुखी अभिनेता के जीवन, करियर, यादगार किरदारों और उनकी विरासत को विस्तार से जानते हैं।

बचपन और पृष्ठभूमि: अजीत की छांव में नहीं, खुद की रोशनी

शहजाद खान का जन्म मुंबई में हुआ, लेकिन बचपन का आधा समय हैदराबाद में बीता। पिता अजीत खान बॉलीवुड के आइकॉनिक विलेन थे, जिनके डायलॉग “मोना डार्लिंग” और “लिली डोंट बी गेटी” आज भी याद किए जाते हैं। अजीत ने 200+ फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया, लेकिन शहजाद ने कभी पिता की राह नहीं अपनाई।

  • परिवार: अजीत के तीन बेटे—शहजाद, शाहिद और शरिक। शहजाद सबसे बड़े।
  • प्रेरणा: पिता की फिल्मों को देखकर फिल्मी दुनिया से परिचित हुए, लेकिन कॉमेडी में रुचि खुद की।
  • शिक्षा: मुंबई में पढ़ाई, लेकिन अभिनय की ट्रेनिंग अनौपचारिक।

शहजाद ने कहा था, “पिता विलेन थे, मैं हंसाने वाला। दोनों की अपनी जगह है।”

फिल्मी करियर: छोटे रोल में बड़ी छाप

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शहजाद ने 1988 में ‘कयामत से कयामत तक’ से डेब्यू किया। छोटा रोल था, लेकिन कॉमिक टाइमिंग ने ध्यान खींचा। शुरुआत में विलेन के सहायक, पुलिस इंस्पेक्टर या कॉमिक साइडकिक के रोल मिले।

यादगार फिल्में और किरदार

फिल्मवर्षकिरदारखासियत
कयामत से कयामत तक1988छोटा रोलडेब्यू
अंदाज अपना अपना1994भल्लाशक्ति कपूर के साथ जोड़ी, कॉमिक टाइमिंग
इत्तेफाक2001इंस्पेक्टरसहायक रोल
श्रीमान ब्लैक श्रीमान व्हाइट2008पुलिसहास्य
भारत2019सहायकसलमान खान के साथ
  • अंदाज अपना अपना: भल्ला का किरदार अमर। “ये तेरे बाप का घर नहीं” जैसे डायलॉग हिट।
  • कॉमिक टाइमिंग: शक्ति कपूर, जॉनी लीवर के साथ जोड़ी ने महफिल लूटी।

टेलीविजन में धमाल: टाइगर बनकर बच्चों के हीरो

शहजाद फिल्मों तक सीमित नहीं रहे। टेलीविजन में ‘शाका लाका बूम बूम’ (2000-2004) में टाइगर का किरदार निभाया। यह बच्चों का सुपरहिट शो था।

  • टाइगर: खलनायक, लेकिन कॉमिक अंदाज में। बच्चों में लोकप्रिय।
  • अन्य शो: ‘सीआईडी’, ‘अदालत’ में गेस्ट रोल।
  • प्रभाव: 90 के दशक के बच्चे आज भी टाइगर को याद करते हैं।

अन्य योगदान: प्रोडक्शन और म्यूजिक

  • म्यूजिक एल्बम: ‘असली लोइन मिक्स’ लॉन्च।
  • प्रोडक्शन: 2010 में ‘फंडा अपना अपना’ बनाई, लेकिन रिलीज नहीं हुई।

निजी जीवन और विरासत

शहजाद ने कम प्रचार में रहना पसंद किया। परिवार के साथ समय बिताते थे। उनकी सबसे बड़ी खूबी—बहुमुखीपन। लीड रोल न मिलने पर भी छोटे किरदारों में जान डाली।

  • विशेषता: कॉमिक टाइमिंग, सहज अभिनय, ऊर्जा।
  • प्रेरणा: नए कलाकारों के लिए—छोटे रोल में भी छाप छोड़ें।

निष्कर्ष: शहजाद खान—साइड हीरो, लेकिन दिलों का हीरो

शहजाद खान ने साबित किया कि स्टार बनने के लिए लीड रोल जरूरी नहीं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और बहुमुखी अभिनय ने उन्हें अमर बना दिया। भल्ला और टाइगर आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं।

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