मुंबई, (वेब वार्ता)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन…बैंक डॉट इन और फिन डॉट इन…शुरू किये जाने की घोषणा की है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी के बढ़ते मामले चिंता का विषय है। इससे निपटने के लिए रिजर्व बैंक इस साल अप्रैल से भारतीय बैंकों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन ‘बैंक डॉट इन’ शुरू कर रहा है। साथ ही आने वाले समय में गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाइयों के लिए ‘फिन डॉट इन’ शुरू किया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और ‘फिशिंग’ जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को करने के साथ सुरक्षित वित्तीय सेवाओं को सुव्यवस्थित बनाना है ताकि डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं में विश्वास बढ़े। मल्होत्रा ने कहा कि इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) विशेष रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेगा। वास्तविक पंजीकरण अप्रैल 2025 से शुरू होंगे। बैंकों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग इकाइयों के लिए अलग से ‘फिन डॉट इन’ शुरू किया जाएगा।
केंद्रीय बैंक ने इसके साथ सीमा पार बिना कार्ड प्रस्तुत किये (कार्ड नॉट प्रेजेंट) लेनदेन में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत शुरू करने का भी निर्णय किया है। डिजिटल भुगतान के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक (एएफए) की शुरुआत ने लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ाया है, जिससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान अपनाने का भरोसा मिला है। हालांकि, यह आवश्यकता केवल घरेलू लेनदेन के लिए अनिवार्य है।
आधिकारिक बयान के अनुसार भारत में जारी किए गए कार्ड का इस्तेमाल कर ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के लिए बिना कार्ड प्रस्तुत किये अंतरराष्ट्रीय (ऑनलाइन) लेनदेन के लिए भी एएफए को सक्षम करने का प्रस्ताव है। यह उन मामलों में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करेगा जहां विदेशी व्यापारी एएफए के लिए सक्षम है। विभिन्न पक्षों से प्रतिक्रिया के लिए मसौदा परिपत्र जल्द ही जारी किया जाएगा।
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा कि डिजिटल भुगतान के लिए ओटीपी जैसे प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) ने धोखाधड़ी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जबकि सभी भारतीय कार्डों में सुरक्षा की यह अतिरिक्त परत होती है, यह वर्तमान में केवल भारतीय वेबसाइटों पर लेनदेन करते समय अनिवार्य है। विदेशी मूल के फिशिंग हमलों और अन्य ऑनलाइन घोटालों की संख्या और आवृत्ति को देखते हुए, वेबसाइटों पर भारतीय कार्ड का उपयोग करके ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए समान स्तर की सुरक्षा प्रदान करना आईबीआई द्वारा एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है।