कोरबा, 04 मई (वेब वार्ता)। छत्तीसगढ़ की पांच वीआईपी सीटों में से एक सीट कोरबा लोकसभा सीट है। कोरबा में ईवीएम के वोटों की गिनती चल रही है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत 200445 मतों से आगे चल रही हैं। वहीं बीजेपी प्रत्याशी सरोज पांडेय पीछे चल रही हैं। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कुल 16 लाख 18 हजार 437 मतदाता हैं, जो पिछले चुनाव के मुकाबले एक लाख नौ हजार 597 अधिक हैं। इस बार यहां 27 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।
यहां दो बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की जीत चुकी है। कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। पहली बार में कांग्रेस के दिग्गज नेता चरण दास महंत ने चुनाव जीता था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में चरणदास महंत को बीजेपी के डॉ. बंशीलाल महतो ने हराया था। फिर साल 2019 के चुनाव में चरणदास महंत ने अपनी धर्मपत्नी ज्योत्सना चरणदास महंत को चुनाव मैदान में उतारा। उन्होंने ज्योति नंदन दुबे को हराया था।
कोरबा की 8 विधानसभा सीटों पर इतने फीसदी पड़े वोट
- बैकुंठपुर 80.23 %
- भरतपुर-सोनहत 82.45%
- कटघोरा 74.81%
- कोरबा 63.18%
- मनेंद्रगढ़ 71.46%
- मरवाही 78.62%
- पाली तानाखार 79.58%
- रामपुर 77.80%
साल 2029 का चुनाव परिणाम
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सांसद बंशीलाल महतो का टिकट काटकर ज्योति नंदन दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में ज्योत्सना महंत ने दुबे को 26 हजार 349 वोट से हराया था।
पहली निर्वाचित राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं सरोज पांडेय
भाजपा नेत्री सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ की पहली निर्वाचित राज्यसभा सांसद बनी थीं। उस दौरान बीजेपी के 49 विधायक थे। सरोज पांडेय को कुल 51 वोट मिले थे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में ये पहला मौका था जब राज्यसभा के लिए चुनाव कराया गया था। इसके पूर्व निर्विरोध चुना जाता था। पिछली बार कांग्रेस ने लेखराम साहू को मौका दिया था, लेकिन उन्हें भितरघात के चलते पार्टी विधायकों के ही पूरे वोट नहीं मिले थे। यानी क्रॉस वोटिंग हुई थी। सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ की एकमात्र ऐसी नेता हैं, जो एक ही साल में दुर्ग जिले से महापौर, विधायक और सांसद रहीं।
छात्र जीवन से राजनीतिक सफर की शुरुआत
भाजपा की वरिष्ठ नेता डॉ. सरोज पांडेय इससे पूर्व छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं। छात्र जीवन से उन्होंने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत की। बहुत कम उम्र में ही अपनी लीडरशिप की लोहा मनवा चुकीं हैं। वो एक साथ महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी हैं। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनीज और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।
साल 2009 में लगातार तीन बार के सांसद को हराया
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2009 में सरोज को मेयर और विधायक रहते हुए दुर्ग सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। बीजेपी के बागी नेता और दुर्ग से लगातार तीन बार के सांसद रहे ताराचंद साहू को सरोज पांडेय ने भारी मतों के अंतर से हराया। लोकसभा चुनाव 2014 में देशभर में मोदी लहर के बावजूद वो चुनाव हार गईं। हालांकि उस दौरान पार्टी में ही भितरघात के आरोप लगे थे। बीजेपी ने सरोज पांडेय को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी जिम्मेदारी दी।
ज्योत्सना महंत का सियासी सफर
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत का जन्म वर्ष 18 नवंबर 1953 को हुआ। वे एमएससी (प्राणी शास्त्र) की शिक्षा प्राप्त हैं। उनकी समाजसेवा और जनचेतना के कार्यों में प्रारंभ से रुचि रही है। 25 वर्षों से वो जनसेवा के कार्य में लगी हैं और राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया है। वे अपने ससुर और छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्रदृष्टा स्व. बिसाहू दास महंत और पति छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत को अपना राजनैतिक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत मानती हैं।
कोरबा लोकसभा क्षेत्रवासियों से उनका सतत जीवंत संपर्क रहा है। लोकसभा क्षेत्रवासियों के हर सुख-दुख में शामिल होने के साथ-साथ यहां के विकास और उत्थान के लिए कोरबा लोकसभा की आवाज दिल्ली में बुलंद करती रही हैं। कोरबा लोकसभा में मेडिकल कॉलेज, श्रमिकों के लिए ईएसआईसी हॉस्पिटल की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। भू-विस्थापितों की मांगों और मुद्दों से लेकर रेल सुविधाओं के लिए भी वे संसद में मुखर रहीं। केंद्रीय नेताओं से लगातार पत्र व्यवहार व प्रत्यक्ष संपर्क करती रहीं। वे अपने सहज और सरल स्वभाव के कारण क्षेत्रवासियों में लोकप्रिय हैं।