नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। सुप्रीम कोर्ट आज बिहार बिहार मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े मामले पर सुनवाई करेगा, जो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ निर्वाचन आयोग (ECI) के 24 जून 2025 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन और मतदाताओं को वंचित करने का प्रयास बताया है।
मामले की पृष्ठभूमि
निर्वाचन आयोग ने 24 जून 2025 को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और अपात्र मतदाताओं को हटाना था। आयोग के अनुसार, यह कवायद शहरीकरण, प्रवास, और फर्जी मतदाताओं की शिकायतों के जवाब में शुरू की गई। हालांकि, विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने इसे लाखों मतदाताओं को वंचित करने की साजिश करार दिया है। 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिसमें 22 लाख मृत, 36 लाख प्रवासी, और 8 लाख डुप्लिकेट प्रविष्टियां बताई गईं।
10 से अधिक याचिकाएं, जिनमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), आरजेडी सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, और कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल शामिल हैं, ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325, और 326 का उल्लंघन करता है।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2025 को इस मामले की पहली सुनवाई में ECI को आधार कार्ड, वोटर आईडी, और राशन कार्ड को वैध दस्तावेजों के रूप में स्वीकार करने का सुझाव दिया था। कोर्ट ने कहा:
“यह लोकतंत्र की जड़ और मतदान के अधिकार से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है।”
14 अगस्त 2025 को कोर्ट ने ECI को निर्देश दिया कि वह 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची और उनके नाम हटाने का कारण जिला स्तर पर वेबसाइटों पर प्रकाशित करे। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रभावित मतदाताओं को आपत्ति और दावा दायर करने का मौका मिले।
आज की सुनवाई का एजेंडा
आज की सुनवाई में कोर्ट निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देगा:
ECI की शक्ति और वैधानिकता: क्या रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट, 1950 की धारा 21(3) और संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत SIR वैध है?
प्रक्रिया की पारदर्शिता: क्या मतदाताओं को हटाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन हुआ?
समय की कमी: विधानसभा चुनाव से पहले इतने कम समय में SIR को लागू करने की व्यावहारिकता।
वरिष्ठ अधिवक्ता जैसे कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण, और गोपाल शंकरनारायणन याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क देंगे, जबकि राकेश द्विवेदी ECI का पक्ष रखेंगे।
विपक्ष और सत्तापक्ष का रुख
विपक्ष (इंडिया गठबंधन) का दावा है कि SIR मुस्लिम, दलित, और गरीब प्रवासी समुदायों को निशाना बना रहा है। मनोज झा ने इसे चुनाव से पहले मतदाताओं को दबाने की रणनीति बताया। वहीं, बीजेपी और एनडीए ने इसे मतदाता सूची की शुद्धता के लिए जरूरी बताया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा:
“SIR से केवल भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार सुनिश्चित होगा।”
क्या होगा असर?
आज की सुनवाई का फैसला बिहार विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता पर गहरा प्रभाव डालेगा। यदि कोर्ट SIR को रद्द करता है या संशोधन का आदेश देता है, तो यह ECI की स्वायत्तता और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाएगा। दूसरी ओर, यदि प्रक्रिया को मंजूरी मिलती है, तो विपक्ष इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दे सकता है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है, और यह सुनवाई उससे पहले का आखिरी मौका हो सकता है।