Tuesday, November 18, 2025
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ओणम 2025: केरल की सांस्कृतिक धरोहर और एकता का उत्सव

तिरुवनंतपुरम, (वेब वार्ता)। ओणम, केरल का सबसे बड़ा और सबसे जीवंत पर्व, आज पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह दस दिवसीय त्योहार चिंगम मास के अथम नक्षत्र से शुरू होकर थिरुवोणम के दिन अपने चरम पर पहुंचता है। ओणम 2025 न केवल केरल की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक एकता, समृद्धि, और भाईचारे का प्रतीक भी है। यह पर्व महाबली की कथा और वामन अवतार की पौराणिक गाथा के साथ-साथ केरल की फसल उत्सव की परंपरा को जीवंत करता है।

ओणम: समृद्धि और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव

ओणम केरल के लोगों के लिए केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व महाबली, एक दयालु और धर्मनिष्ठ असुर राजा, की याद में मनाया जाता है, जिनके शासनकाल को केरल का स्वर्ण युग माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में महाबली से उनकी सारी संपत्ति मांग ली, लेकिन उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें हर साल अपने लोगों से मिलने की अनुमति दी। ओणम उसी वापसी का उत्सव है, जब केरल के लोग अपने प्रिय राजा का स्वागत करते हैं।

“ओणम वह पर्व है, जो केरल की सांस्कृतिक एकता और समृद्ध परंपराओं को विश्व मंच पर ले जाता है।” – लेखक।

ओणम की परंपराएं और रंग

ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है। इस दौरान केरल के घर, गलियां, और मंदिर पुक्कलम (फूलों की रंगोली), थिरुवोणम साध्या (विशाल भोज), और वल्लमकली (नौका दौड़) से सज जाते हैं।

  • पुक्कलम: घरों और सार्वजनिक स्थानों पर रंग-बिरंगे फूलों से बनाई जाने वाली रंगोली, जो महाबली के स्वागत का प्रतीक है।

  • ओणम साध्या: 20 से अधिक व्यंजनों वाला भोज, जिसमें पायसम, अवियल, सांभर, और रसम जैसे पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं। यह भोज सामुदायिक एकता को दर्शाता है, क्योंकि सभी लोग एक साथ भोजन करते हैं।

  • वल्लमकली: केरल की नदियों पर आयोजित नौका दौड़, जो साहस, एकता, और उत्साह का प्रदर्शन करती है।

  • सांस्कृतिक प्रदर्शन: कथकली, मोहिनीअट्टम, और पुलिकली (बाघ नृत्य) जैसे नृत्य और प्रदर्शन ओणम को जीवंत बनाते हैं।

“पुक्कलम की रंगोली और साध्या की थाली केरल की आत्मा को दर्शाती है – एकता में विविधता।”

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

ओणम केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है; यह सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह एक ऐसा उत्सव है, जो हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, और सभी समुदायों को एक मंच पर लाता है। केरल की सामाजिक एकता और सहिष्णुता की भावना इस पर्व में स्पष्ट रूप से झलकती है। चाहे वह पुक्कलम बनाना हो या साध्या का आनंद लेना, हर गतिविधि में सामुदायिक सहभागिता और सौहार्द की भावना निहित है।

ओणम का एक अन्य महत्व कृषि और प्रकृति से इसका गहरा जुड़ाव है। यह फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो केरल की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता को दर्शाता है। 2025 में, जब जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण वैश्विक चर्चा के केंद्र में हैं, ओणम हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

आधुनिक समय में ओणम

ओणम 2025 में, केरल सरकार और सांस्कृतिक संगठनों ने इस पर्व को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए कई आयोजन किए हैं। तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, और कोझिकोड में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नौका दौड़, और पुक्कलम प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। इसके अलावा, डिजिटल ओणम के तहत सोशल मीडिया पर #Onam2025 और #KeralaFestival जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग अपनी पुक्कलम और साध्या की तस्वीरें साझा कर रहे हैं।

हालांकि, आधुनिकता के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पुक्कलम के लिए फूलों की उपलब्धता कम हो रही है। इसके अलावा, पर्यावरणीय चिंताएं जैसे प्लास्टिक का उपयोग और नदियों में प्रदूषण वल्लमकली जैसे आयोजनों को प्रभावित कर रहे हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, केरल के लोग पर्यावरण-अनुकूल ओणम मनाने के लिए जैविक फूलों और टिकाऊ प्रथाओं को अपना रहे हैं।

वैश्विक प्रभाव

ओणम केवल केरल तक सीमित नहीं है; यह विश्व भर में बसे मलयाली समुदायों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। दुबई, सिंगापुर, अमेरिका, और यूरोप में मलयाली संगठन ओणम साध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यह पर्व भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर ले जाता है और विविधता में एकता का संदेश देता है।

आम जनता की भूमिका

ओणम 2025 हमें यह सिखाता है कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। हम सभी को चाहिए कि:

  • पर्यावरण-अनुकूल तरीके से ओणम मनाएं, जैसे जैविक फूलों का उपयोग और प्लास्टिक से परहेज।

  • सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दें, ताकि सभी धर्मों और समुदायों के लोग इस उत्सव में शामिल हों।

  • केरल की परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं, ताकि यह सांस्कृतिक धरोहर जीवित रहे।

निष्कर्ष

ओणम 2025 केरल की सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक एकता, और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व हमें महाबली के आदर्शों और वामन अवतार की शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर देता है। पुक्कलम की रंगोली, साध्या की थाली, और वल्लमकली का उत्साह हमें शांति, समृद्धि, और भाईचारे का संदेश देता है। आइए, इस ओणम पर हम संकल्प लें कि हम केरल की इस अनमोल धरोहर को संरक्षित करेंगे और विश्व भर में इसके गौरव को बढ़ाएंगे।

ओणम आशम्सकल! 🌸

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