नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन उन शिक्षकों को समर्पित है, जो समाज के निर्माण में ज्ञान, नैतिकता, और प्रेरणा का दीप जलाते हैं। शिक्षक न केवल विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि उनके चरित्र निर्माण, नेतृत्व क्षमता, और सामाजिक मूल्यों को भी आकार देते हैं। शिक्षक दिवस 2025 का यह अवसर हमें शिक्षकों के अमूल्य योगदान को याद करने और उनकी चुनौतियों पर विचार करने का मौका देता है।
शिक्षक: समाज के मेरुदंड
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति और प्रख्यात दार्शनिक, ने कहा था:
“शिक्षक वह नहीं जो केवल तथ्यों को पढ़ाता है, बल्कि वह जो विद्यार्थी को स्वयं सोचने की प्रेरणा देता है।”
शिक्षक समाज के मेरुदंड हैं। वे बच्चों को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करते हैं और उन्हें नैतिकता, सहानुभूति, और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाते हैं। चाहे वह ग्रामीण स्कूलों में सीमित संसाधनों के बीच पढ़ाने वाला शिक्षक हो या आधुनिक तकनीक से लैस शहरी स्कूल का शिक्षक, उनकी भूमिका समाज को बेहतर बनाने में केंद्रीय है।
शिक्षकों का ऐतिहासिक महत्व
भारत में गुरु-शिष्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। प्राचीन काल में गुरुकुलों में गुरु न केवल शिक्षा देते थे, बल्कि जीवन के हर पहलू में शिष्यों का मार्गदर्शन करते थे। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को साम्राज्य स्थापना की प्रेरणा दी, तो स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस के मार्गदर्शन में विश्व को भारतीय दर्शन से परिचित कराया। आज के दौर में भी शिक्षक आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
शिक्षक दिवस का महत्व
शिक्षक दिवस की शुरुआत 1962 में हुई, जब डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को उत्सव के रूप में मनाने के बजाय इसे शिक्षकों के सम्मान में समर्पित करने का सुझाव दिया। तब से यह दिन स्कूलों, कॉलेजों, और विश्वविद्यालयों में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, और शिक्षक अपने दायित्वों को और अधिक निष्ठा से निभाने का संकल्प लेते हैं।
2025 में, जब भारत डिजिटल क्रांति और नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के दौर से गुजर रहा है, शिक्षकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। NEP 2020 ने शिक्षकों को नवाचार, कौशल विकास, और समग्र शिक्षा के केंद्र में रखा है। यह नीति शिक्षकों को प्रौद्योगिकी और 21वीं सदी के कौशल से लैस करने पर जोर देती है, ताकि वे विद्यार्थियों को वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार कर सकें।
शिक्षकों की चुनौतियां
आज के समय में शिक्षकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
संसाधनों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे कक्षाओं, शिक्षण सामग्री, और डिजिटल उपकरणों की कमी है।
कम वेतन: कई शिक्षक, विशेषकर निजी और अनुबंधित शिक्षक, कम वेतन के कारण आर्थिक तंगी का सामना करते हैं।
बढ़ता दबाव: शिक्षकों पर न केवल पढ़ाने, बल्कि प्रशासनिक कार्यों और विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का भी दबाव है।
डिजिटल अंतर: ग्रामीण और शहरी शिक्षकों के बीच डिजिटल शिक्षा के उपयोग में भारी अंतर है।
“शिक्षक समाज का वह दीपक है, जो स्वयं जलकर दूसरों को रोशनी देता है।” – लेखक।
शिक्षकों का योगदान
शिक्षकों का योगदान केवल कक्षा तक सीमित नहीं है। वे:
चरित्र निर्माण करते हैं: नैतिकता और मूल्यों को विद्यार्थियों में स्थापित करते हैं।
नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और कला में विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं।
सामाजिक परिवर्तन लाते हैं: शिक्षा के माध्यम से जेंडर समानता, पर्यावरण जागरूकता, और सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
राष्ट्र निर्माण में योगदान: शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक तैयार करके देश की प्रगति में योगदान देते हैं।
शिक्षक दिवस 2025 पर, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि शिक्षकों को वह सम्मान, संसाधन, और समर्थन प्रदान किया जाए, जो उनके योगदान के अनुरूप हो।
सामाजिक और सरकारी प्रयास
सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण और विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। दीक्षा प्लेटफॉर्म और नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स (NPST) जैसे पहल शिक्षकों को डिजिटल और नवाचारी शिक्षा के लिए तैयार कर रहे हैं। हालांकि, इन नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करना अभी भी एक चुनौती है।
सामाजिक स्तर पर, शिक्षक सम्मान समारोह और राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार जैसे आयोजन शिक्षकों के योगदान को मान्यता देते हैं। 2025 में, सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता की घोषणा की है।
आम जनता की भूमिका
शिक्षक दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाने का अवसर है। हम सभी को:
शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।
ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा संसाधनों के लिए दान देना चाहिए।
शिक्षकों की समस्याओं को सुनकर उनके लिए नीतिगत समर्थन की वकालत करनी चाहिए।
निष्कर्ष
शिक्षक दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षक समाज के असली नायक हैं, जो अपने ज्ञान और समर्पण से भविष्य को आकार देते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रेरणा से शुरू हुआ यह दिन हमें शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनकी चुनौतियों को समझने का अवसर देता है। आइए, इस शिक्षक दिवस पर संकल्प लें कि हम शिक्षकों को वह सम्मान और समर्थन देंगे, जो एक प्रगतिशील और शिक्षित भारत के निर्माण के लिए जरूरी है।
📚 #शिक्षकदिवस2025: शिक्षक समाज के मेरुदंड, जो ज्ञान और नैतिकता का दीप जलाते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रेरणा से आइए शिक्षकों का सम्मान करें और उनके योगदान को सलाम करें! 🙏 #TeachersDay #Education #TeachersDay2025 #teacher pic.twitter.com/jBUbkV0tfM
— Webvarta News Agency (@webvarta) September 5, 2025




