वाराणसी, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में गंगा का रौद्र रूप धीरे-धीरे शांत होता दिख रहा है, लेकिन अभी भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। तटवर्ती और निचले इलाकों में पानी अब भी घरों, गलियों और सड़कों तक पहुंच चुका है। गंगा और वरुणा नदी के मिलन से बनी स्थिति और पहाड़ी इलाकों में जारी वर्षा ने हालात को और गंभीर बना दिया है।
🌊 गंगा में घटाव का रुख, लेकिन खतरा नहीं टला
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार की सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 72.20 मीटर दर्ज किया गया था, जो खतरे के निशान 71.26 मीटर से लगभग एक मीटर ऊपर था। सुबह 10 बजे तक यह स्तर 72.12 मीटर पर आ गया। विशेषज्ञों के मुताबिक गंगा का जलस्तर अब औसतन दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा है। इसके बावजूद बाढ़ का पानी लगातार नए इलाकों में प्रवेश कर रहा है।
🏚️ निचले इलाकों में हालात चिंताजनक
गंगा और वरुणा नदियों के जलस्तर में वृद्धि से वाराणसी के शहरी और ग्रामीण अंचलों में हालात बदतर हो गए हैं। कई इलाकों में कमर से लेकर छाती तक पानी भर गया है, जिससे लोगों को अपने घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। अब तक जिले के 24 मोहल्ले और 32 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। हजारों परिवार विस्थापित हुए हैं, जिनमें से करीब 2,877 लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
🛶 मणिकर्णिका घाट की गलियों में चल रही नावें
वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों की स्थिति भी भयावह है। दशाश्वमेध घाट स्थित शीतला माता मंदिर का परिसर और निकटवर्ती वीडीए प्लाजा का अंडरग्राउंड पानी में डूब गया है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चल रही हैं, जो बाढ़ की गंभीरता को दर्शाता है। घाटों से बढ़ा पानी अब शहर की मुख्य सड़कों और गलियों में भी प्रवेश कर चुका है।
🚫 संपर्क मार्ग टूटे, बिजली आपूर्ति ठप
जिले के पिपरी गांव स्थित बेला धौरहरा मार्ग और बेला बर्थरा खुर्द मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जिससे परिवहन बाधित हो गया है। सुरक्षा की दृष्टि से इन इलाकों में बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है।
🌧️ पहाड़ों पर बारिश और बैराज से छोड़ा गया पानी बनी मुसीबत
गंगा में जलस्तर की बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश और कोटा बैराज से छोड़ा गया अतिरिक्त पानी है। इससे नदियों में पलट प्रवाह की स्थिति बनी है, जिससे कई नए इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है।
🌾 फसलें बर्बाद, ग्रामीणों का जीवन संकट में
बाढ़ के कारण अब तक 328 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। खेतों में खड़ी धान और सब्जियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। इससे किसानों की आजीविका पर बड़ा असर पड़ा है।