लखनऊ, अजय कुमार (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित प्रेरणा कैंटीन और दीदी कैफे स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक सशक्त माध्यम बन रहे हैं। ये कैंटीन न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही हैं, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य प्रमुख स्थानों पर मरीजों और तीमारदारों को कम दरों पर पौष्टिक भोजन और नाश्ता भी उपलब्ध करा रही हैं।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का मार्गदर्शन
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों, संकुल स्तरीय संगठनों, और ग्राम स्तरीय संगठनों से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इस पहल के तहत प्रदेश में 2010 से अधिक प्रेरणा कैंटीन/कैफे स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 832 कैंटीन सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संचालित हो रही हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा:
“प्रेरणा कैंटीन न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं, बल्कि मरीजों और तीमारदारों को सस्ते दरों पर पौष्टिक भोजन भी प्रदान कर रही हैं। इन कैंटीनों में मोटे अनाज के व्यंजन शामिल करने से यह पहल और प्रभावी होगी।”
प्रेरणा कैंटीन: महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण
प्रेरणा कैंटीन और दीदी कैफे के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं, बल्कि अपने परिवारों के सामाजिक और शैक्षिक विकास में भी योगदान दे रही हैं। ये कैंटीन सामुदायिक निवेश निधि, ग्राम संगठन आजीविका निधि, और कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) का उपयोग करके संचालित की जा रही हैं।
कैंटीन स्थापना के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन किया गया है, जैसे:
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
अन्य सरकारी भवन और प्रमुख स्थान
इन कैंटीनों में महिलाएँ स्वच्छ और पौष्टिक भोजन तैयार करती हैं, जो मरीजों और तीमारदारों को उचित दरों पर उपलब्ध कराया जाता है। यह पहल स्वस्थ प्रदेश-खुशहाल प्रदेश की अवधारणा को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य पर जोर
प्रेरणा कैंटीन का मुख्य उद्देश्य मरीजों और तीमारदारों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सुझाव दिया कि कैंटीन में मोटे अनाज (मिलेट्स) जैसे ज्वार, बाजरा, और रागी से बने व्यंजनों को शामिल किया जाए, जो पोषण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
इसके अतिरिक्त, कैंटीनों में तैयार भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की भूमिका
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है, जैसे:
खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग
हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों का निर्माण
प्रेरणा कैंटीन और कैफे का संचालन
मिशन के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, और बाजार तक पहुँच प्रदान की जा रही है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ सामाजिक और शैक्षिक उन्नति में भी योगदान दे रही है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
प्रेरणा कैंटीन ने निम्नलिखित प्रभाव डाले हैं:
आर्थिक सशक्तिकरण: स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ नियमित आय अर्जित कर रही हैं, जिससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
स्वास्थ्य लाभ: मरीजों और तीमारदारों को सस्ते दामों पर पौष्टिक और स्वच्छ भोजन उपलब्ध हो रहा है।
सामाजिक विकास: महिलाएँ आत्मविश्वास के साथ अपने समुदायों में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही हैं।
पर्यावरणीय जागरूकता: मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण-अनुकूल खेती को प्रोत्साहन मिल रहा है।
निष्कर्ष
प्रेरणा कैंटीन और दीदी कैफे उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी पहल साबित हो रही हैं। यह न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य और पोषण के प्रति जागरूकता भी बढ़ा रही है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उद्देश्यों को साकार कर रही है, जिससे ग्रामीण महिलाएँ अपने परिवार और समुदाय के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही हैं।