Wednesday, November 19, 2025
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़ें

शिक्षक दिवस 2025: शिक्षक राष्ट्र के वास्तविक निर्माता हैं – डॉ. विष्णु प्रताप चौबे

कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के पिपरा बाजार स्थित किसान इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के सामान्य कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षक दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। यह आयोजन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस (5 सितंबर 1888) के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने के साथ-साथ उनके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।

शिक्षक दिवस की शुरुआत: माँ सरस्वती और डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन के साथ हुई। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों, छात्रों और NSS स्वयंसेवकों ने शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने शिक्षकों को समाज और राष्ट्र के निर्माता के रूप में सराहा।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: एक महान विचारक और शिक्षक

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. विष्णु प्रताप चौबे ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया:

“डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर 1888 – 17 अप्रैल 1975) न केवल एक महान दार्शनिक और शिक्षाविद थे, बल्कि भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति भी रहे। उन्होंने भारतीय दर्शन और पश्चिमी विचारों को जोड़ने का अनूठा कार्य किया। जब उनके छात्रों और दोस्तों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई, तो उन्होंने विनम्रता से कहा कि इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, क्योंकि शिक्षक ही राष्ट्र के वास्तविक निर्माता होते हैं।”

डॉ. राधाकृष्णन की यह सोच आज भी शिक्षकों के प्रति सम्मान और उनके योगदान को रेखांकित करती है।

शिक्षकों की भूमिका: राष्ट्र निर्माण का आधार

भूगोल शिक्षक सतीश कुशवाहा ने डॉ. राधाकृष्णन के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे भारतीय संस्कृति के एक श्रेष्ठ विचारक और संचारक थे। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को प्रेरित करती हैं।

वहीं, हिंदी प्रवक्ता सुनील कुमार पांडेय ने अपने उद्बोधन में शिक्षकों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:

“शिक्षक एक शक्तिपुंज की तरह होता है, जो समाज को ज्ञान की रोशनी प्रदान करता है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति में शिक्षकों का सबसे बड़ा योगदान होता है। वे न केवल छात्रों को शिक्षित करते हैं, बल्कि उन्हें नैतिकता, संस्कृति और समाज के प्रति जिम्मेदारी का पाठ भी पढ़ाते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक समाज को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं और राष्ट्र की दिशा व दशा को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

NSS स्वयंसेवकों का मूक अभिनय: शिक्षकों को सम्मान

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवकों ने शिक्षकों के महत्व और सम्मान को दर्शाने वाला एक प्रभावशाली मूक अभिनय प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति ने उपस्थित लोगों का ध्यान आकर्षित किया और शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका रहा। छात्रों और स्वयंसेवकों ने इस अवसर पर अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हुए उनके योगदान को सराहा।

कार्यक्रम में उपस्थित लोग

कार्यक्रम में शिवेंद्र चौबे, नितिन कम्बोज, सतीश कुशवाहा, प्रेमचंद चौरसिया, योगेंद्र यादव, अरुंधति दुबे, रानी मिश्रा, NSS के स्वयंसेवक, छात्र-छात्राएं और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में शिक्षकों के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया।

शिक्षक दिवस का महत्व

शिक्षक दिवस न केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि यह उन सभी शिक्षकों को सम्मान देने का दिन है जो समाज और राष्ट्र के निर्माण में अथक प्रयास करते हैं। कुशीनगर के इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित किया कि शिक्षक समाज का आधार हैं और उनकी भूमिका को कभी कम नहीं आंका जा सकता।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest

More articles