हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद स्थित शाहाबाद मंडी में मंगलवार को इफको बिक्री केंद्र पर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सैकड़ों किसान बारिश के बीच खाद के लिए लाइन में खड़े दिखाई दिए। सूरज निकलने से पहले ही महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे-छोटे बच्चों के साथ किसान लंबी कतार में लग गए, लेकिन उन्हें छांव, पीने के पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हुईं।
किसानों की सबसे बड़ी पीड़ा उस समय सामने आई जब उन्हें खाद लेने से वंचित कर दिया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके दस्तावेज़ जैसे आधार, खतौनी और भूलेख का सत्यापन नहीं हो पाया था। बंटाई पर खेती करने वाले किसानों के पास खतौनी न होने से वे पूरी तरह सिस्टम से बाहर कर दिए गए।
व्यवस्था की कमी और सिस्टम की पेचीदगियों ने बढ़ाया संकट
महिलाएं और अशिक्षित किसान डिजिटल प्रणाली, सत्यापन और पंजीकरण जैसी तकनीकी प्रक्रियाओं को समझ ही नहीं पा रहे थे। एक महिला किसान ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा:
“सुबह छह बजे से बच्चों को लेकर लाइन में हूं, बारिश में भीग गई, भूखी भी हूं, लेकिन खाद नहीं मिली।”
खाद वितरण में पारदर्शिता और सुविधा की जगह, अफसरशाही, लापरवाही और तकनीकी जटिलताओं ने किसानों को बेहाल कर दिया। ना कोई जवाबदेह अधिकारी मौके पर मौजूद था, और ना ही सहायता केंद्र पर कोई सहायता मिल पा रही थी।
किसानों की मांग: सिस्टम में सुधार और सहूलियत
किसानों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि इफको बिक्री केंद्रों पर मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं, और खाद वितरण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और किसान-हितैषी बनाया जाए।
सिर्फ कागज़ी कार्यवाही और डिजिटल सत्यापन की जटिलताओं से किसानों का भरोसा टूटता जा रहा है, जो खाद जैसी बुनियादी जरूरत के लिए हर साल लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं।