रायबरेली, अजय कुमार (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दो दिवसीय दौरे के दौरान राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया। पहले दिन योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने राहुल के दौरे का विरोध करते हुए ‘गो बैक’ नारे लगाए और सड़क पर प्रदर्शन किया। लेकिन दूसरे दिन जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) बैठक में दिनेश के तेवर बदले नजर आए। उन्होंने मुस्कराते हुए अपने बेटे पयूष प्रताप सिंह को राहुल से मिलवाया, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना दिया।
राहुल गांधी का यह दौरा 11 और 12 सितंबर 2025 को हुआ, जिसमें उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की समस्याओं को समझा और अधिकारियों को निर्देश दिए। पहले दिन विरोध के बाद दूसरे दिन की यह हंसी-मजाक वाली मुलाकात ने कई सवाल खड़े कर दिए।
पहले दिन विरोध: ‘गो बैक’ नारे और सड़क जाम
रायबरेली पहुंचे राहुल गांधी का स्वागत कुछ भाजपा समर्थकों ने विरोध से किया। मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने राहुल के काफिले को रोकने की कोशिश की और समर्थकों के साथ ‘राहुल गांधी गो बैक’ के नारे लगाए। दिनेश सिंह ने कहा कि राहुल का दौरा राजनीतिक फायदे के लिए है और इससे क्षेत्र के विकास में कोई योगदान नहीं होगा। प्रदर्शन के दौरान सड़क पर जाम लग गया, जिससे यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन यह घटना राजनीतिक बहस का केंद्र बनी।
दिनेश प्रताप सिंह, जो रायबरेली से पूर्व सांसद रह चुके हैं, ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा, “रायबरेली को विकास की जरूरत है, न कि राजनीतिक दौरे की।” यह विरोध भाजपा की रायबरेली में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
दूसरे दिन दिशा बैठक: हंसी-मजाक और हाथ मिलाना
दूसरे दिन दिशा बैठक में माहौल एकदम बदल गया। राहुल गांधी ने बैठक की अध्यक्षता की और स्वास्थ्य, सड़क, और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर अधिकारियों को फटकार लगाई। बैठक में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी मौजूद थे। इस दौरान दिनेश ने अपने बेटे पयूष प्रताप सिंह (ब्लॉक प्रमुख) को राहुल से मिलवाया। दोनों ने हंसते-हंसते हाथ मिलाया, और यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई।
राहुल ने बैठक में सांसद निधि के कार्यों में देरी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “सांसद निधि के पैसे से सड़कें और स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर बननी चाहिए। वोट चोरी के आरोपों की जांच हो।” उन्होंने युवाओं को जोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रमों का सुझाव दिया। दिनेश सिंह ने बैठक में सक्रिय भागीदारी की, लेकिन विरोध के बावजूद सहयोग का रुख अपनाया।
अमेठी सांसद केएल शर्मा भी बैठक में मौजूद थे। ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडे ने बहिष्कार किया और बाहर चले गए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: दिनेश सिंह और राहुल का पुराना रिश्ता
दिनेश प्रताप सिंह कभी गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे। वे रायबरेली से 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। अब वे भाजपा के कद्दावर नेता हैं। राहुल का दौरा रायबरेली में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने का प्रयास था, जहां वे 2004, 2009, 2019, और 2024 में सांसद चुने गए। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी कि क्या यह विरोध शोपीस था या वास्तविक।
राहुल के दौरे का उद्देश्य
राहुल गांधी का दो दिवसीय दौरा उनके संसदीय क्षेत्र की समस्याओं को समझने और समाधान के लिए था। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टरों की कमी, सड़क निर्माण में देरी, और किसान सम्मान निधि वितरण पर सवाल उठाए। युवाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने स्थानीय कार्यक्रमों का सुझाव दिया। दौरा गुरुवार को समाप्त हुआ, लेकिन इसकी चर्चा जारी है।
निष्कर्ष: राजनीतिक नाटक या सामंजस्य?
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का विरोध और फिर मिलन ने रायबरेली की राजनीति को नया मोड़ दिया। यह घटना दर्शाती है कि राजनीति में विरोध और सहयोग एक सिक्के के दो पहलू हैं। राहुल गांधी ने दौरे में विकास मुद्दों पर फोकस किया, जो कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। भाजपा ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे विकास की मांग का प्रतीक कहा।