लखनऊ, अजय कुमार (वेब वार्ता)। लखनऊ विश्वविद्यालय का 68वाँ दीक्षान्त समारोह बुधवार को कला संकाय प्रांगण में भव्यता और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने समारोह की अध्यक्षता की। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर सी. माण्डे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय अति विशिष्ट अतिथि और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुईं। समारोह में 105 मेधावी विद्यार्थियों को 198 पदक प्रदान किए गए, जिनमें से 153 पदक (77%) छात्राओं ने हासिल किए, जो उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता को दर्शाता है।
दीक्षान्त: नई जिम्मेदारियों की शुरुआत
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा, “लखनऊ केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का नगर ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी गौरवपूर्ण परंपरा रखता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी उपलब्धियों से प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।” उन्होंने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और गुरुओं को बधाई दी।
“दीक्षान्त केवल डिग्री प्राप्ति का अवसर नहीं, बल्कि जीवन की नई जिम्मेदारियों का आरंभ है। विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना होगा।”
– योगेन्द्र उपाध्याय
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में प्रदेश के विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है। “कई विश्वविद्यालयों को ए प्लस और ए डबल प्लस ग्रेडिंग मिली है, और एनआईआरएफ रैंकिंग में भी प्रदेश के विश्वविद्यालय लगातार ऊपर आ रहे हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प का उल्लेख करते हुए युवाओं से राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया।
उत्तर प्रदेश: शिक्षा का उभरता केंद्र
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “उपाधि और पदक प्राप्त करना जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। इसका सही उपयोग समाज और राष्ट्रहित में करना ही विद्यार्थियों की वास्तविक सफलता होगी।” उन्होंने उत्तर प्रदेश को शिक्षा का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर बताया और कहा कि यहाँ बड़ी संख्या में विदेशी विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए आ रहे हैं।
“जैसे एक दीपक अपने प्रकाश से अंधकार को समाप्त करता है, वैसे ही एक विद्यार्थी अपनी प्रतिभा और कर्मठता से समाज और राष्ट्र के अंधकार को दूर कर सकता है।”
– रजनी तिवारी
उन्होंने यह भी बताया कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालयों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों की गुणवत्ता को भी बेहतर किया जा रहा है ताकि शिक्षा की नींव जमीनी स्तर से मजबूत हो।
समारोह की मुख्य झलकियाँ
मानद उपाधि: समारोह में पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार को उनके असाधारण योगदान के लिए मानद डॉक्टरेट (Honoris Causa) से सम्मानित किया गया। उनकी सुरक्षित महाकुंभ 2025 की सुरक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया।
पदक वितरण: कुल 198 पदकों में से 77% पदक छात्राओं ने प्राप्त किए, जो लखनऊ विश्वविद्यालय में लैंगिक समानता और शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतीक है।
सांस्कृतिक आयोजन: दीक्षान्त सप्ताह के दौरान 1 से 7 सितंबर तक मालवीय सभागार में विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें गणेश वंदना, कथक, पंजाबी, राजस्थानी, और मणिपुरी नृत्य जैसे प्रदर्शन शामिल थे।
लखनऊ विश्वविद्यालय: शिक्षा और संस्कृति का संगम
लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से ही शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2025 में, विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ रैंकिंग में 98वाँ स्थान प्राप्त किया और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की श्रेणी में 27वाँ स्थान हासिल किया। यह समारोह न केवल विद्यार्थियों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि विश्वविद्यालय की गौरवपूर्ण परंपरा और उत्तर प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में प्रगति का भी प्रतीक था।
#लखनऊ_विश्वविद्यालय का 68वाँ #दीक्षांत_समारोह
मा. राज्यपाल श्रीमती @anandibenpatel जी की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि डॉ. शेखर सी. माण्डे जी की गरिमामयी उपस्थिति में इस ऐतिहासिक अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मेधावी छात्र-छात्राओं को… pic.twitter.com/dxoL0Ro0di
— Yogendra Upadhyaya (@YogendraUpadhy) September 10, 2025