लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश मुख्यालय के बाहर एक हृदयविदारक और सनसनीखेज घटना ने सभी को झकझोर दिया। अलीगढ़ के भुजपुरा निवासी योगेंद्र उर्फ बॉबी गोस्वामी (48) ने बुधवार दोपहर विक्रमादित्य मार्ग तिराहे पर खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। यह आत्मदाह की कोशिश 6 लाख रुपये के लेनदेन विवाद में बार-बार सुनवाई न होने की हताशा का परिणाम थी। आसपास मौजूद लोगों और गौतमपल्ली थाना पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर आग बुझाई और योगेंद्र को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
घटना का पूरा विवरण: पेट्रोल की बोतल और आग का तांडव
10 सितंबर 2025 को दोपहर करीब 3:35 बजे, योगेंद्र अपने सगे भाई गुड्डू और परिचित महिला सबा परवीन के साथ सपा कार्यालय पहुंचे। पुलिस के अनुसार, योगेंद्र सपा कार्यालय के बाहर रुके, जबकि गुड्डू और सबा अंदर चले गए। इसी बीच, योगेंद्र ने अपनी जेब से पेट्रोल की बोतल निकाली और खुद पर डालकर आग लगा ली। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत पानी डालकर और कंबल लपेटकर आग बुझाने की कोशिश की। सूचना पर पहुंची गौतमपल्ली पुलिस ने योगेंद्र को ई-रिक्शा के जरिए सिविल अस्पताल पहुंचाया।
सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि योगेंद्र 55% तक जल चुके हैं और उनकी हालत नाजुक है। पुलिस ने मौके से पेट्रोल की बोतल बरामद की और जांच शुरू कर दी है। योगेंद्र की जेब से बरामद बोतल इस बात की गवाही देती है कि यह कदम सुनियोजित था।
6 लाख रुपये का लेनदेन विवाद: हताशा की कहानी
योगेंद्र ने पुलिस को बताया कि उनके मोहल्ले (टीन वाली मस्जिद के पीछे, भुजपुरा, अलीगढ़) के रहने वाले दानिश, वसीम, नाजिम (शमीम अहमद के पुत्र) और मास्टर, जो सट्टेबाजी का धंधा करते हैं, ने उनसे 6 लाख रुपये उधार लिए थे। जब योगेंद्र ने पैसे वापस मांगे, तो आरोपियों ने उन्हें गालियां दीं और अपमानित किया। योगेंद्र ने अलीगढ़ के कोतवाली नगर थाने में कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निराश होकर योगेंद्र ने सपा नेताओं से मदद मांगने का फैसला किया और सबा परवीन के साथ लखनऊ आए। सबा, जो उनके मोहल्ले की परिचित हैं, उनके साथ सपा कार्यालय गई थीं। योगेंद्र ने मीडिया को बताया कि सपा नेता शमीम अहमद उनका घर भी कब्जाना चाहते थे, जिसके खिलाफ उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को आवेदन दिया था, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई।
“मैंने बार-बार पुलिस और नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था।”
– योगेंद्र गोस्वामी, पीड़ित
पुलिस की कार्रवाई और जांच
गौतमपल्ली थाना प्रभारी विकास जायसवाल ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और योगेंद्र को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने अलीगढ़ पुलिस से संपर्क किया है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बयान और दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज कर दी गई है।
अखिलेश यादव का बयान: सरकार पर निशाना
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “निर्मम भाजपा सरकार से हताश होकर एक युवा ने आत्मदाह के द्वारा सरकार को जगाने की कोशिश की है। यह बेहद दर्दनाक है। सरकार घायल युवक को बेहतर इलाज दे और न्याय सुनिश्चित करे। नाइंसाफी और निराशा भाजपा सरकार की पहचान बन गई है।” अखिलेश ने इस घटना को योगी सरकार की नाकामी से जोड़ा।
निर्मम भाजपा सरकार से हताश होकर एक युवा ने आत्मदाह के द्वारा सरकार को जगाने के लिए जो कोशिश की है वो बेहद दर्दनाक है। भाजपा सरकार घायल युवक को अच्छे से अच्छा इलाज-उपचार सुनिश्चित करे और युवक को न्याय प्रदान करे।
नाइंसाफ़ी, नाउम्मीदगी और निराशा भाजपा सरकार की पहचान बन गयी है।… pic.twitter.com/FSN2QwVJzS
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 10, 2025
सामाजिक और प्रशासनिक सवाल
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों एक आम नागरिक को अपनी शिकायत के लिए इतना चरम कदम उठाना पड़ा? स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासनिक सुस्ती ने योगेंद्र को हताशा के उस कगार पर पहुंचा दिया, जहां उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी। यह मामला न केवल व्यक्तिगत हताशा को दर्शाता है, बल्कि समाज में बढ़ते अविश्वास और न्याय की कमी को भी उजागर करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं प्रशासन को त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देती हैं। साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ाने और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है।
यह घटना लखनऊ और अलीगढ़ पुलिस के लिए एक चेतावनी है कि शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। योगेंद्र की हालत अभी भी गंभीर है, और उनके परिवार को न्याय की उम्मीद है। क्या प्रशासन इस मामले में तेजी से कार्रवाई करेगा, या यह एक और अनसुलझा मामला बनकर रह जाएगा?