कुशीनगर, 27 अगस्त। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में बड़ी गंडक नदी का जलस्तर घटने के बाद बांध की सुरक्षा के लिए बनाए गए लांचिंग एप्रन (Approach) तेजी से धंसने लगे हैं। इससे बांध पर खतरे की स्थिति बन गई है। बुधवार को 92 लाख क्यूसेक पानी की तेज धारा ने पहले ही कृषि भूमि और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था, और अब नदी सीधे बांध को निशाना बना रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के दूसरी तरफ अत्यधिक सिल्ट (गाद) जमा होने के कारण गंडक की धारा का रुख बदल गया है और दबाव सीधे बांध पर बढ़ गया है। बांध की सुरक्षा के लिए लांचिंग एप्रन बनाए गए थे, लेकिन पानी कम होने के बाद अब ये तेजी से धंसने लगे हैं, जिससे मरम्मत कार्य की जरूरत पड़ रही है।
72 करोड़ की परियोजना अधूरी, खतरा और गहराया
नरवाजोत और एपी बांध की सुरक्षा को लेकर हाईलेवल कमेटी की सिफारिश पर शासन ने सात परियोजनाओं के लिए 72 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। लेकिन, जानकारी के अनुसार अधिकांश परियोजनाएं अब भी अधूरी हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गंडक नदी में अवैध बालू खनन और समय पर सिल्ट की सफाई न होने से मौजूदा स्थिति उत्पन्न हुई है।
ग्रामीणों का कहना है:
“अगर बालू खनन पर समय रहते रोक लगाई जाती और नदी के उस पार सिल्ट हटाने का काम किया जाता, तो बांध को खतरा नहीं होता।”
विभाग का दावा, मरम्मत जारी
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल बांध को तत्काल खतरा नहीं है। जहां भी लांचिंग एप्रन धंस रहे हैं, वहां मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। हालांकि, दबाव लगातार बढ़ने से विभाग की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।
सबसे प्रभावित क्षेत्र:
एपी बांध के बीरवट, कोन्हवलिया और जवहीं दयाल के मुसहर टोला पर गंडक का सीधा दबाव
लांचिंग एप्रन क्षतिग्रस्त होने से कटाव का खतरा